उत्तरप्रदेश में बीजेपी ने राज्य की 80 लोकसभा सीटों पर क्लीनस्वीप की तैयारी कर ली है। अपना कुनबा बढ़ाने के लिए बीजेपी ने एनडीए के घटक दलों में दूसरे छोटे छोटे दलों का शामिल किया है। इस बीच पांच सितंबर शिक्षक दिवस के मौके पर घोसी उपचुनाव के लिए मतदान होगा। जिसे बीजेपी और सपा गठबंधन के लिए पहली परीक्षा के रुप में देखा जा रहा है। बीजेपी में जहां सुभासपा नए गठबंधन के तौर पर जुड़ी है। तो वही सपा में पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समीकरण की भी 2024 लोकसभा चुनाव से पहले परीक्षा होने वाली है।
- उत्तरप्रदेश में हैं लोस की 80 सीटें
- 2024 के चुनाव से पहले राजभर और दारासिंह भाजपा के करीब
- घोसी विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी हैं दारासिंह
- 5 सितंबर को होगा घोसी में उपचुनाव
- 8 सिंतबर को आ जाएंगे चुनावी नतीजे
दारासिंह हैं बीजेपी के उम्मीदवार जीते तो बनेंगे मंत्री
हाल ही में सपा को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए दारा सिंह चौहान को बीजेपी ने घोसी उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतर दिया है। 18 महीने में सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल होकर घोसी उपचुनाव जीतना दारा सिंह चौहान के लिए भी किसी परीक्षा से कम नहीं। दारा सिंह अगर उपचुनाव में जीत हासिल करते है तो उनका प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। वहीं ओपी राजभर की भी मंत्री पद पर ताजपोशी हो सकती है।
बता दें 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्वांचल में ही सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था। जिसका बड़ा कारण दारासिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर का सपा से जुड़ाना माना गया था। गाजीपुर जिले में बीजेपी को जहां विधानसभा की एक भी सीट नहीं मिली। वही मऊ जिले की भी महज एक सीट पर बीजेपी को संतोष करना पड़ा था। इतना ही नहीं बलिया, आजमगढ़, सबसे ज्यादा नुकसान, अम्बेडकर नगर के साथ बस्ती जिलों में बीजेपी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। 2022 के विधानसभा चुनाव के 18 माह बाद दारासिंह चौहान का सपा से मोह भंग हो गय और वे बीजेपी में शामिल हुए। ओमप्रकाश राजभर भी सपा का साथ छोड़कर एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए हैं। अब दोनों ही नेताओं की घोसी उपचुनाव में परीक्षा होनी है। उपचुनाव के नतीजे मतदान के तीन दिन बाद 8 सितंबर को आएगा।
राजभर को पसंद आ रही सत्ता से नजदीकी
दारासिंह चौहान ऐसे नेता हैं जो हमेशा से ही सत्ता के करीब पाए जाते हैं। यही वजह है कि बहुत कम समय में बीजेपी में फिर से एंट्री कर ली। इधर ओमप्रकाश राजभर भी सत्ता से दूर रहते हैं तो उन्हें कुछ रास नहीं आता है। 2017 की बात करें तो बीजेपी से गठबंधन के बाद पहली बार विधानसभा में पांच सीटों पर जीत दर्ज करने का मौका मिला। जिसके बाद ओपी राजभर मंत्री बने। लेकिन साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ सीट बंटवारे को लेकर तकरार हो गई थी इसके बाद बीजेपी गठबंधन से बाहर हो गए। राजभर ने 2022 में सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा लेकिन ए 6 सीट पर ही जीत मिल सकी।इसके 18 माह बाद सपा से गठबंधन तोड़कर राजभर ने बीजेपी का दामन थाम लिया।