उत्तरप्रदेश के कानपुर देहात में कब्जा हटवाते समय आग लगने से जिंदा जलकर मौत के आगोश में आई मां बेटी के शव का अंतिम संस्कार बिठूर कानपुर में किया जाएगा। पहले घटनास्थल की जमीन पर ही मां-बेटी का अंतिम संस्कार करने की तैयारी थी। लेकिन पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने बातचीत कर स्वजन को मना लिया है। अंतिम संस्कार के लिए शवों को रवाना कर दिया गया है। मौके पर आइजी व एसपी स्वजन के साथ ही मौजूद हैं।
- कानपुर मड़ौली हादसा
- यूपी सरकार पर अग्निकांड का दाग
- अग्निकांड में कई मां बेटी की जान
- बिठुर में होगा दोनों का अंतिम संस्कार
- प्रशासन की लापरवाही
- जिंदा जलकर मर गईं थीं मां-बेटी
- पुलिस सुरक्षा में शवों को लेकर परिजन रवाना
कंधा देते नजर आए SP और CO
शव वाहन का चालक गलती से आगे बढ़ गया और पीड़ित शिवम के मामा पीछे पहुंचे थे। इस पर शिवम चालक पर भड़क गया। नोकझोंक होने पर पुलिस ने दोनों को शांत कराया। अंतिम संस्कार के लिए कमिश्नर के साथ आइजी भी स्वजन के साथ बिठूर के लिए रवाना हुए हैं। शव को एसपी और सीओ ने भी कंधा दिया।
क्या था पूरा मामला
बता दें कानपुर जिले में रूरा के मड़ौली गांव में सोमवार शाम चार बजे हृदय विदारक घटना हुई। एसडीएम और पुलिस सरकारी जमीन से कब्जा हटवाने पहुंची तो कब्जेदार कृष्णगोपाल दीक्षित ने मोहलत मांगी। समय सीमा खत्म होने की बात कहकर बुलडोजर से कब्जा हटाना शुरू किया गया। इस बीच कृष्णगोपाल की पत्नी 50 वर्षीय प्रमिला और उनकी बेटी 19 साल की नेहा झोपड़ी में चली गईं। कुछ देर में अंदर आग लग गई और मां-बेटी जिंदा जल गईं।
छप्पर गिराने और जनरेटर की टंकी फटने से लगी आग
मां-बेटी जिंदा जल गईं, लेकिन उन्हें बचाया जा सकता था। अगर बुलडोजर सही से छप्पर हटाता और महिला पुलिसकर्मियों ने तत्परता दिखाई होती। झोपड़ी में आग लगने के बाद जब आग छप्पर में लगी पालीथिन से टपक रही थी तो महिला पुलिसकर्मियो ने अंदर घुसकर निकालने की हिम्मत नहीं दिखाई। आग बढ़ी तो बचाव में बुलडोजर छप्पर हटाने चला, लेकिन गलती से वहीं छप्पर गिर गया। इससे अंदर रखे जनरेटर की टंकी फट गई और डीजल फैलने से आग ने विकराल रूप ले लिया। जिसकी चपेट में आकर मां-बेटी की जान चली गई।
23 घंटे बाद उठाया गया शव
घटना के बाद हर किसी के जेहन में यह प्रश्न है कि क्या मां-बेटी को बचाया जा सकता था। जब आग लगी तो झोपड़ी का दरवाजा बंद था। अंदर से मां बेटी के चिल्लाने की आवाज आ रही थी। इस दौरान महिला पुलिसकर्मी मोबाइल पर व्यस्त थीं। आग लगने के बाद तीन महिला पुलिसकर्मी ओर एक महिला एसआई वहां पहुंची, लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आया और दरवाजा खोलने में समय लगा। दरवाजा खुलने के बाद भी ऊपर छप्पर में आग लगी थी व उसमें लगी पॉलीथिन टपक कर नीचे गिर रही थी, उस समय मां बेटी आग की चपेट में नहीं थी।
हादसे वाली जगह बनायेंगे समधि स्थल
बेटे ने कहा कि मां-बहन का अंतिम संस्कार बिठूर में करेंगे। समाधिस्थल उसी जगह पर बनाया जाएगा। जहां दोनों की जिंदा जलकर मौत हुई है। उसने बताया कि जिस जमीन पर बाबा ने पेड़ लगाए थे और वह रहते थे। उसी जमीन पर अब दो दशक से पूरा परिवार झोपड़ी डालकर रह रहा था। उसे गांव के कुछ लोगों के इशारे में लेखपाल और एसडीएम मिलकर खाली कराने पर अमादा थे। कहा कि अब उसी जगह जहां मां-बहन का समाधि स्थल बनाएंगे। उस जमीन के लिए दोनों ने अपनी जान दे दी।
अब तक कई की हुई गिरफ्तारी
मृतका प्रमिला के बेटे शिवम दीक्षित की तहरीर पर एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद, एसओ रूरा दिनेश कुमार गौतम, लेखपाल अशोक सिंह, कानून गो, मड़ौली गांव के अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, निर्मल दीक्षित, विशाल, जेसीबी आपरेटर दीपक, तीन अन्य लेखपाल अज्ञात और 12 से 15 महिला और पुरुष पुलिस कर्मी आईपीसी की धारा 302, 307, 436, 429, 323, 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। इस घटना में अब तक लेखपाल अशोक चौहान और जेसीबी आपरेटर दीपक गिरफ्तार हो चुका है। परिजन अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।