उत्तरप्रदेश उप चुनाव 2024 : इन दो विधानसभा सीट पर सियासत जारी… जानें किसका रहेगा पलड़ा भारी

Uttar Pradesh byelection 2024 politics continues on two assembly seats Khair and Majhwan

उत्तरप्रदेश में विधानसभा उप चुनाव के बीच जारी सरगर्मी को लेकर हम बात करते हैं देश–विदेश के गंभीर मुद्दों पर। यूपी में उपचुनाव हो रहे हैं। यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवम्बर को मतदान हैं। इनमें दो विधानसभा सीटों पर सियासी चर्चा गरमा गई है। पहली विधानसभा सीट है अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा सीट और दूसरी मिर्जापुर की मंझवा विधानसभा सीट। यूपी की इन्हीं दोनों सीटों पर सियासी चर्चा जोरों पर है। ऐसे में हम जानने की कोशिश करेंगे कि इन सीटों के क्या है समीकरण।

चौधरी चरण सिंह के प्रभुत्व वाली इस सीट पर हमेशा जाट निर्णायक भूमिका में रहे हैं। साल 2022 के चुनाव में बीजेपी ने रालोद से ही यह सीट छीनी है। अनुप प्रधान बाल्मीकि यहां से विजयी हुए। बसपा की प्रत्याशी चारु कैन यहां दूसरे नंबर पर रहीं। पिछली बार 2024 के लोकसभा चुनाव में अनुप प्रधान बाल्मीकि हाथरस लोकसभा सीट से विजयी रहे। जिस कारण खैर विधानसभा सीट खाली हुई है। अब इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और लोकदल 3-3 बार, 2 बार जनता दल और 1 बार बसपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में को जीत मिली है।
वहीं दूसरी सीट मिर्जापुर की मंझवा विधानसभा है। जहां 2022 के विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंध के निषाद पार्टी को मिली। निषाद पार्टी के विनोद बिंद ने बसपा के रमेश चंद बिंद को हरा कर जीत हासिल की थी। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में भदोही लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विजयी हो गए। जिससे यह सीट खाली हो गई। अब यहां उप चुनाव हो रहे हैं।
यूपी की मझवां विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आठ बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की, उसका ही कब्जा रहा। इसके बाद यहां पांच बार चुनाव में बसपा को जीत मिली तो दो बार बीजेपी ने भी जीत दर्ज की है समाजवादी पार्टी यह सीट कभी नहीं जीत पाई। आज इन्हीं दोनों सीटों के सियासी गणित को समझने कोशिश करेंगे।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा सीट पर सपा ने जाट और एससी कार्ड खेलकर बीजेपी को तगड़ा झटका दिया है। बीजेपी ने खैर विधानसभा सीट पर सुरेंद्र सिंह दिलेर को टिकट दिया था। अब सपा ने उसके जवाब में चारू कैन को चुनावी मैदान में उतारा है। खैर विधानसभा सीट पर उपचुनाव 2024 के लिए 20 नवंबर को मतदान होना है। खैर विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है । इसके साथ ही यहां रालोद का भी दबदबा है। बीजेपी के सुरेंद्र सिंह का सियासत से पुराना रिश्ता है। सुरेंद्र सिंह के पिता हाथरस से सांसद रह चुके हैं। उनके दादा भी भारतीय जनता पार्टी से कई बार सांसद और विधायक चुने गए हैं।
वहीं अगर चारु कैन की बात की जाय तो साल 2022 से बसपा की नेता थीं। इसके चलते बसपा के कोर वोटर्स में उनका अच्छा खासा दबदबा है। इसके साथ चारू कैन भी एससी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। जबकि उनके पति जाट समुदाय से हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि यहां समाजवादी पार्टी ने पूरी तरह चुनावी गणित का पासा पलट दिया है।

मझवां विधानसभा सीट पर यूपी चुनाव 2022 के दौरान निषाद पार्टी ने अपना कब्जा जमाया किया था। बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी के टिकट पर डॉ.विनोद कुमार बिंद ने चुनाव में जीत दर्ज की थी। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान डॉ.विनोद बिंद को बीजेपी ने अपने सिंबल पर भदोही लोकसभा सीट से चुनाव उम्मीदवार बनाया। वे जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। इसके बाद मझवां सीट खाली हुई।
बीजेपी ने यहां से 2022 तक विधायक रही सुचिस्मिता मौर्य को मैदान में उतारा है। वहीं उप चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी ने दीपक तिवारी उर्फ दीपू तिवारी को तो समाजवादी पार्टी ने डॉ. ज्योति बिंद को प्रत्याशी घोषित किया है। मंझवा सीट से 2002, 2007, 2012 में लगातार तीन बार BSP से चुनाव जीत चुके रमेश बिंद ने सपा में शामिल होने के बाद अपनी बेटी डा.ज्योति बिंद को पहली बार चुनावी मैदान में उतारा है। रमेश बिंद ने 2019 में BJP के टिकट पर भदोही से लोकसभा का चुनाव जीता था। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर सपा में शामिल हो गए।

(प्रकाश कुमार पांडेय)

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