चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। लेकिन यूपी की दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान नहीं किया। इन 10 सीटों पर चुनाव कब होंगे मतदान कब होगा इसकी तारीखों को लेकर अब तक सस्पेंस बरकरार है।
- उप चुनाव के लिए नहीं है अनुकुल मौसम
- वायनाड लोकसभा सहित 46 विधानसभा सीट पर होंगे उपचुनाव
- यूपी की 10 विधानसभा सीट पर भी होना हैं उप चुनाव
- चुनाव आयोग का तर्क— कुछ राज्यों में अब भी मानसून सक्रिय
- वायनाड में प्राकृतिक आपदा के बाद हालात बिगड़े
- ऐसी स्थिति नहीं है कि उपचुनाव कराए जाएं
- मौसम और परिस्थितियां अनुकूल होने के बाद तय होगी तारीख
दरअसल चुनाव आयोग ने शुक्रवार 16 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उपचुनाव को लेकर कहा कुछ राज्यों में अब भी मानसून सक्रिय है। देशभर में करीब 46 विधानसभा और एक लोकसभा सीट वायनाड है, जहां उपचुनाव होना हैं। वायनाड में पिछले दिनों आई प्राकृतिक आपदा के बाद वहां अब ऐसी स्थिति नहीं है कि चुनाव कराए जाएं। मौसम और परिस्थितियां अनुकूल होने के बाद ही समय आने पर मतदान कराया जाएगा। चुनाव आयोग की ओर से कहा गया है कि छह महीनों की अवधि में ही इन सीटों पर उपचुनाव कराए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश में कब होंगे 10 विधानसभा सीट पर उपचुनाव
- लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई हैं 9 सीट
- एक सीट पर विधायक को किया गया अयोग्य घोषित
- 10 सीटों में से पांच सीट पर सपा के थे विधायक
- फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर थी भाजपा के पास
- मीरापुर सीट भाजपा के सहयोगी रालोद के पास थी
यूपी की ये 10 सीट, जहां होना हैं उपचुनाव
यूपी की 10 सीटों में से पांच सीट कटेहरी, सीसामऊ, करहल, कुंदरकी और मिल्कीपुर सपा के पास थीं। जबकि गाजियाबाद, फूलपुर, खैर और मझवां सीट भाजपा के पास थीं। मीरापुर सीट पर पिछली बार बीजेपी के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी।
गाजियाबाद सीट से बीजेपी के विधायक डॉ.अतुल गर्ग ने गाजियाबाद लोकसभा चुनाव जीता है।
मझवां से निषाद पार्टी के विधायक डॉ.विनोद कुमार बिंद ने भी बीजेपी के टिकट से भदोही लोकसभा सीट पर जीत हासिल की है।
मीरापुर की बात करें तो यहां रालोद के विधायक चंदन चौहान अब बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद बन गए हैं।
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट से समाजवादी पार्टी विधायक अवधेश प्रसाद भी अब फैजाबाद लोकसभा सीट से सांसद चुने गये हैं।
करहल के विधायक और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में कन्नौज चुनाव लड़ा था, इस लोकसभा चुनाव में वे जीते हैं।
कटेहरी से सपा के ही विधायक लालजी वर्मा ने लोकसभा चुनाव में अंबेडकर नगर सीट चुनाव में जीत दर्ज की है।
कुंदरकी विधायक रहे जियाउर्रहमान बर्क संभल लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे हैं।
फूलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा विधायक प्रवीण पटेल भी लोकसभा चुनाव में फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव में जीत दर्ज संसद पहुंच चुके हैं।
खैर विधानसभा सीट की स्थिति भी यही है।अलीगढ़ जिले में शामिल खैर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक और प्रदेश सरकार के मंत्री अनूप प्रधान वाल्मीकि अब हाथरस लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर सांसद बने हैं।
सीसामऊ सीट से समाजवादी पार्टी के इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में जेल की सजा सुनाई गई है। इसके के बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है। जिसके चलते रिक्त विधानसभा सीट पर अब जल्द ही उपचुनाव होना है।
इन सीटों पर आसान नहीं बीजेपी की राह
करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव विधायक थे। अब कन्नौज से पार्टी के सांसद हैं। ऐसे में अखिलेश यादव यहां से अपने भतीजे तेजप्रताप यादव को चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं।
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 9 बार से अवधेश प्रसाद सपा के विधायक रहे हैं। इस बार सांसद चुने गये हैं। समाजवादी पार्टी अब उनके बेटे अजीत प्रसाद को चुनाव मैदान में उतार सकती है। यह सीट बीजेपी के लिए जीतना किसी टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। वहीं कानपुर जिले की सीसामऊ विधानसभा सीट भी समाजवादी पार्टी के विधायक रहे इरफान सोलंकी को सज़ा होने से खाली हुई है। इस सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है। यह सपा की मजबूत सीटों में से एक है। माना जा रहा है कि सपा उपचुनाव में भी यहां इरफान सोलंकी के ही परिवार से किसी को टिकट दे सकती है। इरफान के साथ यहां के लोगों की सहानुभूति भी है। ऐसे में इस सीट पर जीत हासिल करना बीजेपी के लिए मुश्किल भरा हो सकता है।
मुरादाबाद में शामिल कुंदरकी विधानसभा सीट संभल लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है। मुस्लिम बहुल सीट होने के चलते इस सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है। जियाउर रहमान वर्क पिछली बार यहां से विधायक चुने गये थे। इस बार वे संभल लोकसभा सीट से सांसद चुने गये हैं। करीब 60 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली इस सीट को जीतना भाजपा के लिए खासा मुश्किल भरा हो सकता है।
अंबेडकर नगर में शामिल कटहरी सीट से सपा विधायक लालजी वर्मा विधायक चुने गये थे। इस बार उन्होंने अंबेडकर नगर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और वे सपा के सांसद बन गए। पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी में आने से पहले लालजी वर्मा बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेताओं में गिने जाते थे। अब लालजी वर्मा इस सीट से अपनी बेटी छाया वर्मा को विधानसभा का उप चुनाव लड़ाना चाहते हैं। यह सीट भी बीजेपी के लिए कांटों भरी हो सकती है।
मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट की बात करें जो इसे जीतना भी बीजेपी के लिए आसान नहीं है। साल 2022 में आरएलडी और सपा के गठबंधन प्रत्याशी ने सीट पर जीत दर्ज की थी। चंदन चौहान समाजवादी पार्टी और आरएलडी गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर जीतकर विधायक बने थे। इस बार बीजेपी और आरएलडी का गठबंधन है। जिससे चंदन चौहान अब बिजनौर से गठबंधन के सांसद चुने गए है। हालांकि इसके बाद भी बीजेपी के लिए यह सीट जीतना आसान नहीं क्योंकि यह मुस्लिम बहुल सीट है। फूलपुर विधानसभा सीट से साल 2022 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। प्रवीण पटेल विधायक चुने गये थे। इस बार भाजपा ने प्रवीण पटेल को फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाकर सांसद तो बना लिया, लेकिन प्रवीण पटेल को अपनी ही फूलपुर की विधानसभा से सांसद के चुनाव में कम वोट मिले थे।