अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से भारत पर लगाया गया 26% टैरिफ बुधवार 9 अप्रैल से लागू हो गया है। वैश्विक व्यापार युद्ध की चिंताओं के बीच शेयर बाजार में गिरावट भी देखी गई। पिछले सप्ताह ट्रम्प प्रशासन द्वारा टैरिफ की घोषणा के बाद से ही बाजार में गिरावट का दौश्र जारी है।
- भारत पर ट्रंप के 26% टैरिफ लागू
- आज होगी कैबिनेट की बड़ी बैठक
- टैरिफ घोषणा के बाद से बाजारों में गिरावट
- केंद्रीय मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण बैठक
- टैरिफ के प्रभाव को कम करने के तरीकों पर रणनीति बनाई जाएगी
- ट्रम्प की घोषणा के बाद से ही बाजार में गिरावट जारी है
- अभी तक भारत ने इस मुद्दे पर सतर्क रुख अपनाया है
हालांकि भारत के लिए यह एक अच्छी बात है कि सेमीकंडक्टर, कॉपर और फार्मास्यूटिकल्स को अमेरिकी टैरिफ से छूट प्रदान की गई है। बता दें भारत अमेरिका में जेनेरिक दवाओं का लगभग आधा हिस्सा आपूर्ति करता है। हालांकि, ऑटो पार्ट्स, रत्न और ज्वैलरी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निर्यात पर असर पड़ेगा। सूत्र बताते हैं कि भारत सरकार टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए निर्यातकों के संपर्क में है।
लेकिन अब तक भारत सरकार ने इस मुद्दे पर सतर्क रुख अपनाया है।
उससे भारत सरकार की ओर से अमेरिका पर जवाबी शुल्क लगाए जाने की संभावना नहीं है। इसके बजाय भारत सरकार अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर और सक्रिय रूप से काम कर रही है। जानकारी के अनुसार भारत सरकार अमेरिकी कार्यकारी आदेश के उस खंड पर भरोसा कर रही है, जो उन देशों को राहत प्रदान करता है। जहां गैर-पारस्परिक व्यापार व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हैं।
भारत की ओर से पहले ही अमेरिकी बॉर्बन व्हिस्की और हार्ले-डेविडसन मोटरबाइक पर टैरिफ कम कर दिया गया है। इसके साथ ही डिजिटल सेवाओं पर कर भी हटाया गया है। जिसे ‘गूगल टैक्स’ के नाम से जाना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार ट्रम्प प्रशासन की ओर से घोषित व्यापक टैरिफ प्रतिद्वंद्वी निर्यातकों को अधिक प्रभावित करेंगे। जिससे भारत को और अधिक अवसर मिलेंगे। भारत के साथ ही एशियाई समकक्ष जैसे चीन 34%, वियतनाम 46% और इंडोनेशिया पर अमेरिका की ओर से 32% उच्च टैरिफ लगाया गया है।