यूपी के लखनऊ में भगवान बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम…सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा भगवान बिरसा मुंडा से मिलती है वीरता की प्रेरणा

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महान स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले महान नायक बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया पर अपने एक पोस्ट में कहा भगवान बिरसा मुंडा ने हमेशा मातृभूमि की आन-बान और शान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। भगवान बिरसा मुंडा की जन्म-जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रुप में मनाई जा रही है। इस पावन अवसर पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।

यूपी के सीएम योगी ने कहा स्वाधीनता संग्राम के अमर महानायक, अरण्य संस्कृति के साथ जनजातीय अस्मिता के महानायक मातृभूमि के साथ ‘जल-जंगल-जमीन’ की रक्षा के लिए संघर्ष की सीख देने वाले महान क्रांतिवीर धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर वे उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हैं। सीएम योगी ने कहा माँ भारती की सेवा, सम्मान के साथ रक्षा के लिए समर्पित महान जनजातीय विभूतियों का आज पावन स्मरण दिवस है। जिसे जनजातीय गौरव दिवस के रुप में मनाया जा रहा है। जिसकी वे प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं।

बता दें यूपी की राजधानी लखनउ में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती कार्यक्रम आयोजित किया गया। बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में “जनजातीय गौरव दिवस” मनाया जा रहा है। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंतर्राष्ट्रीय जनजातीय भागीदारी उत्सव का शुभारंभ किया। महोत्सव लखनऊ स्थित गोमती नगर के संगीत नाटक अकादमी में आज शुक्रवार 15 से 20 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान भारत के 22 राज्यों के साथ-साथ वियतनाम और स्लोवाकिया के भी कलाकार महोत्सव में शामिल हो रहे हैं।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जनजातीय समुदाय का मातृभूमि के प्रति त्याग, निष्ठा और वीरता को प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज न केवल भारत का मूल संप्रदाय है। बल्कि यह समुदाय मातृभूमि के प्रति उच्च भाव से प्रेरित होकर देश की सेवा में सदैव तत्पर रहा है।
बता दें सरकार की ओर से साल 2021 में भगवान बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की थी। बिरसा मुंडा का जन्म आज ही के दिन 15 नवंबर 1875 में अविभाजित बिहार के आदिवासी क्षेत्र में स्थित उलिहातू में हुआ था। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के साथ धर्मांतरण गतिविधियों के खिलाफ भी आदिवासियों को लामबंद किया था।

(प्रकाश कुमार पांडेय)

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