जो काम चिराग पासवान ने बिहार में नीतीश कुमार के साथ किया था। वही यूपी में बसपा सुप्रीमो मायावती अखिलेश यादव के साथ करने जा रहीं हैं। लोकसभा चुनाव के कुछ कैंडिडट्स के नाम देखकर यही लग रहा है। दरअसल, बसपा अकेले लोकसभा चुनाव लड़ रही है। खासकर पश्चिम यूपी की कुछ सीटों से जो नाम सामने आए हैं वे सपा को सिरदर्द देने वाले हैं। सहारनपुर, अमरोहा और मुरादाबाद से बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने का फैसला किया है। जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी लेकिन पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को बता दिया है कि मुरादाबाद से इरफान सैफी, अमरोहा से मुजाहिद हुसैन और सहारनपुर से माजिद अली हाथी की सवारी करेंगे।
- चिराग की राह पर यूपी में मायावती
- सपा का खेल बिगाड़ेगी बसपा
- यूपी की कई सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी
- बसपा उतारेगी मुस्लिम प्रत्याशी
- पश्चिम यूपी की कुछ सीटों से आए नाम सामने
- सहारनपुर,अमरोहा और मुरादाबाद से होंगे मुस्लिम प्रत्याशी
- बीजेपी को लाभ पहुंचाएगी बसपा की रणनीति
- तीन सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी!
- बसपा के प्रत्याशी बिगाड़ेंगे सपा के खेल
- क्या बीजेपी को मिलेगा बसपा की रणनीति का लाभ
- यूपी में अकेले चुनाव लड़ेगी बसपा
कांग्रेस के अधिक सीटों पर सपा के प्रत्याशी
दरअसल समाजवादी पार्टी कांग्रेस से ज्यादा सीटों पर यूपी में चुनाव लड़ रही है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पीडीए फॉर्मूले को काफी उछाला है। इस फॉर्मूले में A का मतलब अल्पसंख्यक वर्ग से ही है। लेकिन अब बसपा सपा के इस वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है। जिस का फायदा सीधे बीजेपी को होगा। खास बात यह है कि तीनों सीटों पर मुस्लिमों और दलितों की अच्छी खासी आबादी है। इसी वजह से पिछली बार सपा-बसपा अलायंस से फायदा भी हुआ था। इस बार सपा और कांग्रेस साथ आए हैं और उन्हें उम्मीद है कि मुस्लिम उन्हें ही वोट करेंगे लेकिन बसपा ने मजबूत मुस्लिम कैंडिडेट उतारकर सेंध लगा दी है।
क्या मुरादाबाद में अधूरी रह जाएगी सपा की मुराद
बसपा ने मुरादाबाद से मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया है। बता दे सैफी ओबीसी मुस्लिम वर्ग से आते। इस समय मुरादाबाद जिले की ठाकुरद्वारा नगर पालिका के अध्यक्ष भी हैं। पिछली बार 2019 के चुनाव में बसपा ने इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ा था। उस समय यह सीट गठबंधन में समाजवादी पार्टी के पास थी। सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जिसके चलते सपा नेता एसटी हसन ने यहां से जबर्दस्त जीत भी हासिल की थी। लेकिन इस बार कांग्रेस और सपा का गठबंधन है। ऐसे में मुरादाबाद लोकसभा सीट को अखिलेश यादव ने अपने पास रखा है।
अमरोहा में मुजाहिद हुसैन को टिकट
बसपा ने अमरोहा में मुजाहिद हुसैन को मैदान में उतारा है। वे मुस्लिमों में उच्च जाति से ताल्लुक रखते हैं। मुजाहिद एक बिजनसमैन भी हैं। जबकि उनकी पत्नी गाजियाबाद जिले की डासना नगर पंचायत की अध्यक्ष हैं। यह सीट सपा से गठबंधन के बाद कांग्रेस को मिली है। यहां पर कांग्रेस ही अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी। बता दें पिछली बार 2019 में बसपा सांसद दानिश अली चुनाव जीते थे। हालांकि मायावती ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें निलंबित कर दिया था। दानिश अली हाल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो न्याय यात्रा में दिखाई दिये थे। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं।
क्या इत्र नगरी कन्नौज में अखिलेश की सपा होगा सफा
बसपा सुप्रीमो मायावती ने इत्र नगरी कन्नौज में भी समाजवादी पार्टी को घेरने की रणनीति तैयार कर ली है। मायावती ने इस सीट से पूर्व सपा नेता अकील अहमद को टिकट देकर मैदान में उतार दिया है। जिसके चलते सपा को सीधे तौर पर बड़ा नुकसान होने की संभावना है। लेकिन इसका फायदा बसपा को नहीं भाजपा को होगा। माना जा रहा है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव के स्व्यं कन्नौज से चुनाव लड़ने की अटकलें थीं। दरअसल करीब दो दशकों तक इत्र नगरी कन्नौज सपा का गढ़ रही है। यहां से कभी अखिलेश और डिंपल यादव चुनाव जीतते रहे हैं। ऐसे में बीजेपी ने यहां से सुब्रत पाठक को टिकट देकर मैदान में उतारा है तो बसपा ने मुस्लिम कैंडिडेट को उतारकर इस सीट पर चुनाव पेंचीदा बना दिया है।
पीलीभीत में सपा के सामने बसपा की दीवार
पीलीभीत लोकसभा सीट से बसपा ने पूर्व मंत्री अनीस अहमद खान फूल बाबू को टिकट देकर मैदान में उतार दिया है। इस लिहाज से देखें तो मुस्लिम प्रत्याशी उतारने की बसपा सुप्रीमो मायावती की चुनावी रणनीति को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के खिलाफ न जीतेंगे और न जीतने देंगे के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक हल्कोे में चर्चा है कि क्या बिहार विधानसभा चुनाव में जो भूमिका चिराग पासवान ने निभाई थी वहीं भूमिका यूपी में मायावती इस चुनाव में निभा रही हैं?
सहारनपुर में कौन होगा बेसहारा
सहारनपुर सीट से बसपा प्रत्याशी के रुप में यहां से माजिद अली का नाम सामने आ रहा है। वे ओबीसी मुस्लिम हैं। पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। पिछली बार 2019 के चुनाव में बसपा के हाजी फजलुरर्हमान यहां से जीते थे। बसपा नेता की माने तो पार्टी नियमों के अनुसार अभी इन प्रत्याशियों को संबंधित लोकसभा सीटों का प्रभार दिया गया है, चुनाव के ऐलान के बाद इन्ही को आधिकारिक उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा।