UP Assembly Election 2027 आकाश आनंद की वापसी से बढ़ी चंद्रशेखर की चिंता, दलित राजनीति में भविष्य को लेकर असमंजस

नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद के सामने एक बड़ी चुनौती आ गई है। दलित नेता आजाद बहुजन समाजवादी पार्टी BSP के नेता आकाश आंनद Akash Anand को लेकर चिंता में हैं। चंद्रशेखर अपने राजनैतिक भविष्य को लेकर भी चिंतत है। चंद्रशेखर के लिए अब सबसे बडी चुनौती है मायावती के भतीजे और बहुजन समाजवादी पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आंनद से।

क्या है चिंता है चंद्रशेखर की
आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर Chandrashekhar Azad Ravan को अपने राजनैतिक भविष्य को लेकर असमंजस में है। चंद्रशेखऱ की चिंता इस वक्त और बढ गई जब वो बहुजन समाजवादी पार्टी में आकाश आनंद की वापसी हुई। बहुजन समाजवादी पार्टी कि सुप्रीमो मायावती BSP Mayawati ने अपने भतीजे आकाश आनंद को माफ करते हुए न केवल उनको पार्टी में वापस बुला लिया बल्कि बिहार के चुनावों की जिम्मेदारी भी सौंप दी। आकाश आनंद की वापसी के साथ ही बीएसपी के पास एक युवा चेहरा आ गया जो चंद्रशेखर को चुनौती दे सकता है। यही युवा चेहरा बीएसपी के लिए वापस से दलित वोटों को जोड़ सकता है। इसलिए चंद्रशेखर के लिए आकाश आनंद किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं।

क्या थी दलित वोटो की लेकर चंद्रशेखर की प्लानिंग
दरअसल पिछले कुछ सालों में बीएसपी मैदान में नहीं दिखाई दे रही थी। कई हालात को ऐसे भी हो गए थे कि उत्तरप्रदेश में दलित महिलाओं पर अत्याचार की कई घटनाओं पर भी बसपा सुप्रीमो ने मैदान में जाना तो दूर सोशल मीडिया पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। उसी के बाद से चंद्रशेखर मैदान में एक्टिव हो गए। चंद्रशेकर ने आजाद बहुजन समाजावादी पार्टी बना ली । चंद्रशेखर की मानना था कि वो बहुजन समाजवाजी पार्टी की सुप्रीमों मायावती की गैरमौजूदगी का फायदा उठाकर दलित वोटो को अपने साथ शिप्ट कर लेगा। बसपा के छोड़े स्थान पर चंद्रशेखर खुद को स्थापित कर दलितों की राजनीति का चेहरा बनना चाहते थे। लेकिन आकाश आनंदी की वापसी ने उनकी प्लानिंग पर पानी फेर दिया।

आकाश आनंद Akash Anand अब कड़ी चुनौती
अब नागिना के सासंद चंद्रशेखर ने बसपा की ओर से छोड़े स्पेस कैश कराकर सासंद की कुर्सी तो पा ली लेकिन 2027 अब चंद्रशेखर के लिए आसान नहीं होगा।क्योंकि 2027 में उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले बीएसपी सुप्रीमों मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को दलित युवा चेहरे के तौर पर स्थापित कर देंगी। ऐसे में चंद्रशेखर के लिए उत्तरप्रदेश की दलित राजनीति आसान नहीं हो सकेगी। यही कारण है कि चंद्रशेखऱ को अपने और पार्टी के राजनैतकि भविष्ट की चिंता खाए जा रही है।

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