इजराइल और हमास के बीच जंग अब भी जारी है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब गाजा पूरी तरह तबाह हो चुका है। वहां रहने वाले लोगों को ना तो भोजन मिल रहा है और ना ही उन्हें पीने के लिए साफ पानी मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की तरफ से पहुंचाई जाने वाली सहायता के बाद भी लोग बेहाल हैं। जंग के चलते से सबसे बुरा हाल वहां महिलाओं और बच्चों का हो रहा है।
गाजा के बच्चों की हालत खराब
पिछले अक्टूबर की बात करें तो फिलिस्तीनी आतंकी गुट हमास ने इजरायली सीमा पर हमला किया था। जिसमें करीब 1200 लोगों की मौत हुई थी। जबकि इस हमले में लगभग 250 लोगों को बंधक बना लिया था। वो एक-एक करके अपनी शर्तों के साथ बंधकों को छोड़ रहा है। इस बीच गुस्साई इजरायली सेना ने हमास के हेडक्वार्टर पर हमला बोल दिया, जो कि गाजा पट्टी में है। इजराइल और हमास के बीच अब सांप और नेवले की तरह लड़ाई हो चुकी है। जिसमें गाजा के फिलिस्तीनी नागरिक खासकर बच्चों की हालत खराब है। ताजा आंकड़ों पर गौर करें तो ये आंकड़े बताते हैं कि वहां हर तीन में से एक बच्चे को खाने की कमी से जूझना पड़ रहा है।
इलाज के लिए अस्पताल अब ही नहीं बचे !
जंग के बीच हालात ये हैं कि अब इलाज के लिए अस्पताल अब बचे ही नहीं हैं। जंग के इस माहौल ने इजराइल ने अब बड़ा कम उठाया है। इजराइली अधिकारियों का कहना है कि गाजा पट्टी का एकमात्र मार्ग मई में बंद किया गया था। लेकिन अब पहली बार 68 बीमार और घायल बच्चों को इलाज के लिए गाजा पट्टी से मिस्र जाने की अनुमति दी गई है।
दुनिया में 166 मिलियन लोगों को नहीं मिलता भोजन
यूएन का इंटीग्रेटेड फूड़ सिक्योरिटी फेज आईपीसी जो कि ग्लोबल फूड इंसिक्योरिटी को देखता है इसके अनुसार दुनिया में लगभग 166 मिलियन लोग भोजन की तंगी से पीड़ित हैं। इसमें कई देशों की हालत तो ऐसी है कि कुछ लोग ही इस समस्यसा से ग्रसित हैं जब कि कई देश ऐसे हैं। जहां कहीं—कहीं ज्यादा लोग शामिल हैं। यूएन के इंटीग्रेटेड फूड़ सिक्योरिटी फेज आईपीसी के अनुसार दुनिया का एक हिस्सा ऐसा है, जहां रहने वाली लगभग पूरी आबादी को ही भोजन की तंगी का शिकार होना पड़ रहा है और यह हिस्सा है गाजा पट्टी है। गाजा पट्टी में भी एक मिलियन आबादी भुखमरी के सबसे चरम रूप अकाल से पीडित बताई जा रही है। इसमें भी ज्यादातर बच्चे हैं।
तीन में एक दिन रहना पड़ रहा भूखा
करीब 85 फीसदी बच्चे तीन में से एक दिन पूरी तरह से भूखे रहने को विवश हैं। गाजा में पांच साल या इससे कम उम्र के अधिकांश बच्चे ऐसे भी है जो कई-कई दिन बगैर भोजन या कुछ खाए दिन बिताने को विवश हैं। यूएन के इंटीग्रेटेड फूड़ सिक्योरिटी फेज आईपीसी की सर्वे रिपोर्ट बताती है कि गाजा पट्टी क्षेत्र में करीब 85 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो तीन में से एक दिन पूरी तरह से भूखे रहने को विवश हैं। हालांकि पिछले कुछ समय तक ये सर्वे नहीं किया जा सका, लेकिन अंदेशा जताया जा रहा है कि ये स्थिति अक्सर ही बनती होगी। बच्चे अपने मां-बाप के सामने ही भुखमरी से दम तोड़ रहे हैं।