समान नागरिक संहिता पर ऑल इंडिया पर्सनल मुस्लिम लॉ बोर्ड के तेवर पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य का पलटवार

कहा- पर्सनल बोर्ड कौन है, जो इजाजत देगा?

प्रतीकात्मक तस्वीर

लखनऊः देश में समान नागरिक संहिता यानी (यूसीसी) UCC को लेकर लंबे समय से बयान देने का सिलसिला जारी है। कहीं लोग इसका समर्थन कर रहे हैं, तो कहीं विरोध। मुसलमान इसके विरोद में लामबंद हो रहे हैं, क्योंकि उनका तर्क है कि यह उनके मजहब के खिलाफ है। वहीं, यूसीसी के समर्थकों का कहना है कि देश अगर सेक्युलर है तो कानून भी बराबरी के होने चाहिए।

केशव मौर्य ने कहा- ये भाजपा का प्रमुख एजेंडा

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि हर तबक़े को अपनी-अपनी पहचान के साथ इस मुल्क में ज़िंदा रहने की इजाज़त देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बैठक में मुसलमानों के लिए अहमतरीन कई मसलों पर चर्चा हुई। असम में हो रही गिरफ्तारियों पर रहमानी ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला न जाए,असम सरकार को इससे बचना चाहिए।

वहीं, समान नागरिक संहिता  के विरोध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) द्वारा आर-पार की लड़ाई के ऐलान की उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि समान नागरिक संहिता बीजेपी के प्रमुख एजेंडे में से एक रहा है और देश की जनता ने उन्हें (BJP) जनादेश दिया है।

मोहन भागवत का बयान पर टिप्पणी नहीं

लखनऊ में रामचरित मानस की प्रतियां जलाने पर की जा रही कार्रवाई पर बोलते हुए केशव मौर्य ने कहा कि कानून अपना काम कर रहा है और दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा। संघ प्रमुख मोहन भागवत के भाषण पर मचे बवाल पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं और सरसंघचालक जो कहते हैं, स्वयंसेवक के रूप में उसे वे लोग मार्गदर्शन मानते हैं।

केशव मौर्य ने उनके बयान पर टिप्पणी करने से मना कर दिया।

मुसलमानों में ही दो-फाड़, शहाबुद्दीन नाराज

वैसे, पर्सनल लॉ बोर्ड की इस मीटिंग में भले ही कई विवादास्पद मुद्दों पर बात होने का दावा किया गया, लेकिन यह मुख्यतः ज्ञानवापी पर हो रही कार्रवाई को रोकने और पर्सनल लॉ को बचाने के लिए जरूर कदमों पर चर्चा के लिए था। हालांकि, मुसलमानों की इस संस्था में आपसी रस्साकशी भी पैदा हो गयी है।

दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का बयान तो यही दिखाता है। उन्होंने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपने मकसद से भटक गया है। उन्होंने कहा कि जिस मकसद के लिए उलमा ने बोर्ड का गठन किया था उससे बोर्ड बहुत दूर चला गया है।

मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि बोर्ड का मकसद ये था कि मुसलमानों की शरई और मजहबी मामले में रहनुमाई करेगा, मगर बोर्ड अब सिर्फ सियासी मामलात में दिलचस्पी रखता है। लखनऊ में हुई बोर्ड की मीटिंग में यही हुआ, मीटिंग में समान नागरिक संहिता और लव जिहाद आदि सियासी मुद्दों पर चर्चा हुई मगर मुसलमानों की तरक्की और उनके बुनियादी मसलों पर चर्चा नहीं हुई।

 

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