अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले कई दिग्गज नेता पाला बदलेंगे। ये कोई नई बात नहीं है। हर एक चुनाव में कुछ इसी तरह होता है। जिसे जहां टिकट या महत्व मिला वो उसी डगर की तरफ चल पड़ता है। कुछ ऐसी ही डगर पर सपा नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव चलने वाले हैं। वजह ये है कि एक तो सियासी संकेत कुछ इसी तरह के दिखाई दे रहे हैं और दूसरा राजनीति के जानकार इस आशय का अंदाजा लगा रहे हैं।
शिवपाल के करीबियों ने छोड़ा साथ
हालांकि चाचा शिवपाल यादव बार बार ऐसे कयासों को नकारते रहें है। उनका साफ कहना होता है कि ऐसा कुछ नहीं है। जब नाराजगी को लेकर सवाल पूछा जाता है तो कभी मुस्कुराते हैं तो कभी कह देने हैं कि परिवार में सब चलता है। भले शिवपाल लाख छुपाने के प्रयास करें लेकिन भीतरखाने में जो चर्चा है उसमें कुछ तो सच होगा। उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय के चुनाव चल रहे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव धूंआधार चुनाव प्रचार कर रहे हैं लेकिन चाचा खुलकर प्रचार करते नजर नहीं आ रहे हैं। उनके अपने कई सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं।हाल ही में शिवपाल यादव के बहुत करीबी माने जाने वाले छह बार के विधायक नरेन्द्र सिंह यादव ने सपा छोड़कर पूरे परिवार के साथ भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसी तरह उनके एक और करीबी अजय त्रिपाठी मुन्ना ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है।
सपा में महत्व न मिलने से बढ़ी नाराजगी
किसी भी नेता की ताकत ही उसके अपने समर्थक होते हैं। जब समर्थक साथ छोड़कर विरोधी दल में चले जाएं तो जमीनी पकड़ स्वत: घटने लगती है। शिवपाल यादव के कई समर्थक भी उनका साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। वजह ये है कि उनके अपनी अपेक्षाएं पूरी कराने में शिवपाल संभवत: सफल नहीं हो पाए। इसी तरह निकाय चुनाव में भी कहा जा रहा है कि शिवपाल के समर्थकों को कोई खास महत्व नहीं मिला है। ये भी नाराजगी की एक वजह हो सकती है।
नाराजगी पर क्या बोले चाचा
चाचा नाराज हैं या नहीं है कि सपा के बड़े नेता कन्नी काट लेते हैं लेकिन जब उनसे ही नाराजगी का कारण पूछा जाता है तो कई बार टाल देते हैं लेकिन इस बार उन्होंने जो कहा है वो चौंकाने वाला है। चाचा ने कहा कि मेरी कोई नाराजगी नहीं है हॉ इतना जरूर है कि भाजपा के कई बड़े नेताओं के संपर्क में रहे हैं और भाजपा उन्हे शामिल कर सकती है। इसके बाद मायने निकाले जा रहे हैं कि हो सकता है कि उन्होंने एक संदेश देने की कोशिश की हो। हालांकि शिवपाल यादव सपा से नाराज नेताओं को समझाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन आने वाले समय में क्या होगा कोई नहीं जानता।