आज अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का विध्विंस हुआ। उस समय राम मंदिर को लेकर देश में कई बड़े आंदोलन हुए। आंदोलन ने देश को कई नेता दिए वो भी कट्टर हिंदुत्व की छवि वाले। देश की सियासतो को हिंदुत्व या भगवा से जोड़ने वाली पार्टी के तौर पर लोग बीजेपी को जानते हैं। देश में भगवा सियासत का पहला नाम आया उमा भारती का।
राम मंदिर आंदोलन से राजनीति
उमा भारती देश की राजनीति में तकरीबन तीन दशक तक सक्रिय राजनीति में रही। 2019 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। सक्रिय राजनीति में रहते हुए उमा और भगवा लगभग एक ही अंदाज में कमदताल करते रहे। राम मंदिर आंदोलन से शुरू होकर धीरे धीरे उमा भारती की छवि कट्टर हिदुंत्व की होती चली गई।
पहले भागवत कथा करती थीं उमा भारती
उमा भारती मध्यप्रदेश के टीमकगढ के छोटे से गांव से है। पहले वो भागवत कथा वाचक हुआ करती थीं। बहुत ही छोटी उम्र में उमा भारती कथा करती थीं , उमा भारती को सारे धार्मिक ग्रंथ कंठस्थ थे। उसी दौरान राजमाता सिंधिया का स्नेह उनको मिला वो सिधिया परिवार के साथ जुड़ीं। राजमाता सिंधिया के साथ वो विदेशों तक भागवत कथा करने जाया करती थीं। सिंधिया परिवार से उनके रिश्ते के चलते उमा भारती के राजनैतिक जीवन की शुरूआत बड़ी जल्दी हुई। उमा भारती ने लोकसभा का पहला चुनाव 1986 में लड़ा और वो हार गईं। फिर शुरू हुआ जीत का सिलसिला उमा भारती 1999 में भोपाल की सांसद भी रहीं और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार मे कई अहम मंत्रालयो में मंत्री भी रहीं।
राम मंदिर आंदोलन और उमा भारती
राम मंदिर आंदोलन के पहले ही उमा भारती सांसदी की चुनाव लड चुकीं थीं। खजुराहो सीट से पहले उन्हें 1884 में हार मिली और फिर जीत। लेकिन अब शुरूआत करेंगें 1992 से। जब राम मंदिर का आंदोलन अपने चरम पर था उमा भारती ने संघ व्हीएचपी के साथ राम मंदिर आंदोलन में बढ चढकर हिस्सा लिया। संघ विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी के नेताओं के साथ मिलकर उमा भारती राम मंदिर आंदोलन में जुटी रही साध्वी ऋतंभऱा के साथ मिलकर उमा भारती ने नारा दिया “राम लला हम आऐंगे मंदिर वहीं बनाऐंगे।“ उमा भारती का ये नारा खूब चला और बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में उमा भारती पर मुकदमें भी चले। बाबरी मामले में उमा भारती की लिब्राहन आयोग में पेशीयां भी हुई जहां उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों से इंकार किया लेकिन बाबरी मस्जिद गिरने की नैतिक जिम्मेदारी जरूर ली। राम मंदिर आंदोलन से उमा भारती के राजनैतिक जीवन को पंख लगे और यहीं से सियासी आसमान में भगवा लहराने लगा।
साध्वी, सियासत और भगवा का तड़का
उमा भारती की छवि हार्ड कोर हिंदुत्तव की रही है। उमा भारती कथावाचक से सासंद और राम मंदिर आंदोलन की मुख्य आंदोलकर्ता से होती हुई देश के अहम राजनैतिक पदों तक रही। मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह की दस साल की सत्ता को उखाड़ फेंकने का श्रेय भी उमा भारती को ही जाता है। उमा भारती को स्टार प्रचारक बना के बीजेपी ने मध्यप्रदेश में 2003 में तीन चौथाई बहुमत से सरकार बनाई और तब से लेकर अब तक बीजेपी का परमच प्रदेश में लहरा रहा है। 2018 में कुछ महीनों के लिए कांग्रेस सत्ता पर काबिज रही लेकिन जल्दी ही उनकी सरकार गिर गई।उसके बाद उमा भारती 2014 में नरेंद्र मोदी मंत्रिमडल में कैबिनेट मंत्री रही। 2019 में उन्होंने चुनाव नहीं लडा। उमा भारती और हिंदुत्तव को लेकर चलने वाली देश की शायद पहली भगवा धारी नेता थी। जिन्होने लंबे समय सक्रिय राजनीति में रही और जब जब हिंदुतत्व की बात आई उमा भारती सबसे मजबूती से सामने आई। उसके बाद योगी आदित्य नाथ उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने और राजनीति में नारा आया राजतिलक की करो तैयारी आ रहे हैं भगवाधारी ।
क्या कर रहीं है इन दिनों उमा भारती
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती इन दिनों शराबबंदी को लेकर मध्यप्रदेश में आंदोलन करना चाह रही हैं। उमा भारती ने शिवराज सरकार की नई शराब नीति पर आपत्ति जताई है और अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है।
देखे वीडियो