मप्र में सरकार की ओर से अमूमन 31 जनवरी तक अपनी नई शराब नीति लागू कर दी जाती है। लेकिन इस वर्ष ऐसा नहीं हो सका है। वैसे तो शिवराज सरकार ने साल 2023-24 में शराब से 14 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन अब तक नई शराब नीति लागू नहीं की है। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार पर पूर्व सीएम उमा भारती का खौफ नजर आ रहा है।
- शराब बंदी को लेकर उमा भारती कर चुकी हैं आंदोलन
- शिवराज सरकार के लिए सिरदर्द बनीं उमा भारती
- शराबबंदी को लेकर आंदोलन की तैयारी में उमा भारती
- अब तक लागू नहीं कर पाए शिवराज नई शराबनीति
- हर साल 31 जनवरी को की जाती है नई शराबनीति की घोषणा
- 2023—24 में शराबनीति से 14 हजार करोड़ जुटाने का लक्ष्य
शराब बंदी को लेकर सीएम शिवराज से भी मिल चुकी हैं उमा भारती
उमा भारती शराब बंदी को लेकर सीएम शिवराज से भी मिल चुकी हैं। उमा भारती उन्होंने कहा कि 21 जनवरी को शिवराज जी के साथ हुई मेरी मुलाकात में स्वयं शिवराज जी ने मुझे बताया कि 31 जनवरी को नई शराब नीति की घोषणा करेंगे, क्योंकि यही नियम हैं। यदि जनहित, महिलाओं की सुरक्षा, नौजवानों का भविष्य, उसको ध्यान में रखकर यह तारीख आगे बढ़ाई गई है तो यह बहुत स्वागत योग्य हैं।”उमा भारती ने कहा कि ओरछा के ठीक मुहाने पर राम राजा सरकार के प्रवेश द्वार के ठीक पहले शराब की जो दुकान है। वह अवैध है। विधि विभाग की भूल से उन्हें कोर्ट से स्टे मिल गया है। इसलिए वे मधुशाला को गौशाला में बदल देना चाहती हैं। यह एकमात्र उदाहरण होगा, बाकि मैं नई शराब नीति की प्रतीक्षा करुंगी।
शिवराज ने केन्द्रीय नेतृत्व से मांगी मदद
उमा भारती ने जो सुझाव सरकार को नई शराब नीति को लेकर दिए हैं वे राजस्व को बढ़ाने में रोड़ा बन सकते हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि विभाग की तरफ से नई पॉलिसी को फाइनल कर भेज दिया गया है। वहीं सियासी गलियारों में चर्चा है कि उमा भारती को मनाने की कोशिशें की जा रही हैं। इसके लिए केन्द्रीय नेतृत्व की मदद भी ली ज रही है। दरअसल मध्य प्रदेश में शराब बंदी की दिशा में पहले करने की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती लगातार राज्य सरकार पर दवाब बना रहीं हैं। नई शराबनीति को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अपनी ही सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। इसके चलते ही प्रदेश सरकार नई शराबनीति को लेकर कोई फैसला ही नहीं कर पा रही है। वैसे प्रदेश में अभी तक 31 जनवरी तक नई शराबनीति घोषित हो जाती थी। लेकिन इस बार फरवरी का दूसरा सप्ताह भी प्रारंभ हो गया लेकिन राज्य सरकार की तरफ से कोई फैसला नहीं लिया गया है।
चुनावी साल में शिवराज नहीं चाहते उमा से हो कोई पंगा
मप्र में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना हैं। ऐसे में चुनावी साल के चलते उमा भारती के नई शराबनीति के तेवर को लेकर शिवराज सरकार भी कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती है। उमा ने नई शराबनीति को लेकर भोपाल में मंदिर में प्रवास किया था। ओरछा में शराब दुकान के सामने विरोध किया था। पूर्व सीएम ने सरकार को चेतावनी भी दी है कि नई शराबनीति उनके अनुरूप नहीं आई तो परिणाम ठीक नहीं होगा। उन्होंने सुझाव भी दिए थे। इसमें स्कूल, धार्मिक स्थल, अस्पताल से शराब दुकानों की दूरी एक किमी करने, शराब पीने के अहातों को बंद करने के सुझाव दिए थे।
कैसे जुटेंगे 14 हजार करोड़
चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नई नई योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं। जिन्हें धरातल पर उतार कर वे फिर सत्ता के सिंहासन में विराजमान होना चाहते हैं, लेकिन इन घोषणाओं और योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए पैसों की जरुरत होगी।ऐसे में सरकार ने वर्ष 2023-24 में शराब से 14 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा। लेकिन उमा भारती के विरोध और उनके सुझाव सरकार के राजस्व को बढ़ाने में रोड़ा बन सकते हैं। अधिकारियों के अनुसार विभाग की तरफ से नई पॉलिसी को फाइनल कर भेज दी है। जिसे मुख्यमंत्री के साथ चर्चा के बाद फाइनल कर दिया जाएगा।
उमा का भाजपा को मंत्र!
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने बीजेपी को नया मंत्र दिया है। बता दें की 2003 के चुनाव में उमा भारती के नेतृत्व में बीजेपी ने जीत का रिकार्ड कायम किया था। जिसके बाद से ही बीजेपी मध्य प्रदेश बीजेपी की विधानसभा सीटें कम हो रही हैं। यही कारण है 2023 के चुनाव को लेकर बीजेपी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक सुझाव दिया है। दरअसल उमा भारती ने ट्वीट कर कहा की शिवराज जी ने यहां नियंत्रित एवं जनहितकारी शराब वितरण व्यवस्था कर दी तो महिलाओं के वोटों की ऐसी बरसात होगी कि 2003 का रिकॉर्ड टूट जाएगा। वे झाँसी में हैं एवं मेरा फिर आग्रह है कि मेरे, समाजसेवी, संतों के, संगठन के सुझावों पर शीघ्र ही शराबनीति बनाई जाए। बता दें की 2003 में उमा भारती की अगुवाई में 230 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 173 सीटें मिली थीं और कांग्रेस 38 सीटों पर सिमट गई थी। तब बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती मुख्यमंत्री बनी थी
मैं कुछ पाना चाहती हूं,ऐसा कहने वाले मूर्ख-उमा भारती
पिछले दिनों उमा भारती ने ट्वीट कर लिखा था कि शराब नीति पर बदलाव के मेरे आग्रह से मैं कुछ पाना चाहती हूं ऐसा कहने वाले लोग या दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख है या शरारती हैं। 27 साल में पहली बार सांसद बनने से लेकर 57 साल की उम्र तक 30 साल में भाजपा के इतने व्यापक एवं विशाल होने के संघर्ष में मुझे तो जैसे झौंक दिया गया। मुझे बहुत प्यार, सम्मान एवं पद मिले हैं। मध्यप्रदेश में शराबनीति में बदलाव को लेकर मेरे सिद्धांत निष्ठ आग्रह से मुझे व्यक्तिगत तौर पर आत्मसंतुष्टि के अलावा कोई लाभ नहीं हो सकता। पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि शराब के विषय में मैंने जो कहा है उसपर मैं, शिवराज जी एवं वी डी शर्मा जी सहमत हैं, तो टकराव है ही नही। नई शराबनीति आने दीजिए,सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।
ये हैं उमा भारती के नई शराब नीति को लेकर सुझाव
- खुले अहाते में शराब पीने की व्यवस्था तुरंत बंद होनी चाहिए क्योंकि इस कारण से लोग शराब पीकर वाहन चलाते हैं जो कि यातायात नियमों का उल्लंघन है तथा अहातों के बाहर असामाजिक तत्वों का जमावडा होता है, महिलाएं भयभीत होती हैं एवं सज्जन लोग परेशानी में पड़ते हैं।
- सभी प्रकार के शिक्षण संस्थानों से शराब की दुकानों की न्यूनतम दूरी एक किलोमीटर की रेडियस की होनी चाहिए।
- सभी धर्मों के धार्मिक स्थानों से न्यूनतम आधा किलो मीटर के रेडियस की दूरी होनी चाहिए।
- मजदूरों की बस्ती, अस्पताल, अदालतों, बस स्टैंड से शराब की दुकान की न्यूनतम दूरी आधा किलो मीटर के रेडियस की होनी चाहिए।
- जिस प्रकार से सिनेमा हॉल में एवं अन्य जगहों पर शराब एवं सिगरेट के दोष बताए जाते हैं एवं लोगों को इससे दूर रहने को कहा जाता है ऐसे बड़े-बड़े होर्डिंग हर जगह शराब की दुकान के बाहर हों एवं शराब की बोतल पर शराब की बुराइयां लिखी हुई हों।
- जहां भी शराब की दुकान हो उन स्थानों के पुलिस स्टेशन को यह सख्त निर्देश होना चाहिए कि दुकान में या दुकान के बाहर कोई भी व्यक्ति बैठकर शराब नहीं पी सकता, यदि ऐसा करते हुए मिले तो उस व्यक्ति पर थानेदार को सख्त कार्यवाही करने के पूरे अधिकार होने चाहिए।