महाकाल की भस्म आरती के साथ सावन माह की शुरुआत, इस बार बन रहे हैं ये खास संयोग

Ujjain Mahakal

सावन माह शुरू हो चुका है। सावन में महादेव की आराधना की जाती है। इस महीने भक्त पूरी श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस साल सावन 19 साल बाद खास संयोग लेकर आ रहा है। क्योंकि इस बार दो महीने का सावन होने वाला है। मंगलवार 4 जुलाई से 31 अगस्त तक लोगों को शिव उत्सव मनाने का मौका मिलेगी। श्रावण मास के दौरान अधिकमास पड़ रहा है। लिहाजा इस दौरान पूजा अर्चना करने से भगवान हरि के साथ ही भगवान शिव की भी कृपा बरसेगी। ऐसे में सावन का महिना शुरु होने के साथ ही शिवालयों में भीड़ बढ़ने लगी है।

हम बात करें उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर दरबार की तो यहां भस्म आरती के साथ सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है। सावन और भादो मास में भगवान महाकाल की सवारी नगर भ्रमण पर निकलती है। भगवान महाकाल की सवारी में शामिल होने के लिए भी देशभर के श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं। इससे पहले भगवान महाकाल के कपाट खुलने के बाद उनका जलाभिषेक किया गया। इसके बाद बाबा महाकाल को दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, सुगंधित, इत्र और फलों के रस से भगवान को स्नान कराया गया।

राजाधिराज भगवान महाकाल के दर्शन को देश-विदेश से पहुंचेंगे श्रद्धालु

देशभर के श्रद्धालु सावन में राजाधिराज भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। सावन के महीने में भगवान महाकाल की पूजा अर्चना के समय में भी परिवर्तन होता है। बता दें द्वादश ज्योतिर्लिंगों में तीसरे नंबर पर विराजमान राजाधिराज भगवान महाकाल के दरबार में किसी भी पर्व की शुरुआत सबसे पहले होती है। ऐसे में मंगलवार को रात करीब ढाई बजे भगवान महाकाल के पट खोले गए। इसके साथ ही शिव भक्ति का सिलसिला शुरू हो गया। महाकाल मंदिर में सावन महीने शिव भक्तों का तांता लगता है। महंत विनीत गिरी महाराज की माने तो श्रावण मास में चारों तरफ जहां हरियाली बिखरी रहती है वहीं प्राकृतिक सौंदर्ता के बीच शिवभक्त सावन का महीना बिताते हैं।

भांग के साथ चंदन, अबीर, गुलाल, सूखे मेवे से शृंगार

रात में कपाट खुलते ही भगवान महाकाल निराकार से साकार रूप में आए। भगवान को भांग के साथ चंदन, अबीर, गुलाल, सूखे मेवे से शृंगारित किया गया। इसके बाद भव्य भस्म आरती की गई। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप सोनी बताते हैं सामव मास में भगवान महाकाल के गर्भगृह के को प्रवेश बंद कर दिया गया। दरअसल मंदिर प्रशासन का प्रयास है कि बाहर से अधिक से अधिक संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकें। इसके लिए गर्भगृह से दर्शन और पूजा की व्यवस्था अधिक मास खत्म होने के बाद शुरू हो सकती है।

पट खुलते ही की बाबा महाकाल की विशेष आरती

सावन के पहले दिन पट खुलते ही बाबा महाकाल की विशेष आरती की गई। प्रातः कालीन आरती के बाद भोग आरती और शाम को संध्या कालीन आरती की जाती है। वहीं रात में शयन आरती के साथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ये पट अगले दिन फिर भस्म आरती के साथ खोने जाते हैं। इस प्रकार से शिवभक्त भस्म आरती के अलावा चार अन्य आरती में भी शामिल सकते हैं।

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