महाराष्ट्र् में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। उद्धव ठाकरे गुट ने शिवसेना और चुनाव चिन्ह् धनूष वाण वापस पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अलग बेंच के समक्ष याचिका पर सुनवाई करने के ठाकरे समूह के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। ठाकरे गुट की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में जल्द सुनवाई की मांग की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया है वह बुधवार शाम साढे़ 3 बजे इस मामले पर सुनवाई करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट बुधवार को केंद्रीय चुनाव आयोग के खिलाफ ठाकरे समूह की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली 3 न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सुनवाई होगी। ठाकरे समूह ने अनुरोध किया था कि सुनवाई 5.न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष की जाए। लेकिन यह सुनवाई संविधान पीठ के बजाय खंडपीठ के समक्ष होगी।
बता दें उद्धव और एकनाथ गुट के बीच शिवसेना पर वर्चस्व की लड़ाई तब से चल रही है जब करीब 38 विधायकों ने उद्धव सरकार से बगावत कर दी थी। बगावत के बाद एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बने। इसके चुनाव आयोग के पास मामला पहुंचा। जिसमें चुनाव आयोग ने अपने फैसले में माना कि शिवसेना का सिंबल एकनाथ शिंदे गुट को जाना चाहिए।
विस अध्यक्ष के अधिकार को लेकर तकरार
ठाकरे गुट के कपिल सिब्बल ने शिंदे गुट पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा किया और सीधे तौर पर राज्य सरकार को लेकर एक अहम मुद्दा उठाया। विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार, पार्टी के रूप में शिवसेना के अधिकार, पार्टी अध्यक्ष के रूप में उद्धव ठाकरे के अधिकार, एकनाथ शिंदे और उनके साथ शिंदे गुट के विधायकों की बगावत और इसकी वैधता पर कई मुद्दों पर बहस हुई । मंगलवार को कोर्ट में इस बात पर गरमागरम बहस हुई कि विधायक दल महत्वपूर्ण है या राजनीतिक दल।
प्रियंका को उम्मीद पक्ष में आएगा कोर्ट का फैसला
वहीं शिवसेना उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर हमारे पक्ष में फैसला सुनायेगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट संविधान का संरक्षण करने और प्रजातंत्र पर लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए सबसे बड़ा कोर्ट है। वह लोगों के भरोसा का कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिस तरह से चुनाव आयोग का फैसला आया है, जो खुद सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के खिलाफ है उसका संज्ञान लेगा।
शिवसेना का नाम मिलने के बाद पहली बैठक
वहीं शिवसेना का नाम और पार्टी का चिन्ह मिलने के बाद मंगलवार को पहली कार्यकारिणी की बैठक हुई। जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सारी शक्तियां देने का फैसला किया गया। बैठक में मंत्री दादा भुसे के नेतृत्व में अनुशासन समिति का गठन किया गया। इसके साथ ही नौकरियों में भूमिपुत्रों को 80 प्रतिशत प्राथमिकता दे रहे हैं। इस बैठक में चर्चगेट रेलवे स्टेशन का नामकरण पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री चिंतामनराव देशमुख के नाम पर करने सहित महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए गए। इस दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को आठ महीने में सरकार द्वारा किए गए कार्यों के लिए बधाई देने का संकल्प लिया गया। वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि उन्हें शिवसेना नाम और धनुष और बाण का प्रतीक मिला है। इसके साथ ही शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना की स्थापना की गई। उद्योग मंत्री उदय सामंत ने प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी कि एकनाथ शिंदे के विद्रोह के समर्थन में उनके साथ आए विधायकों और सांसदों ने संकल्प लिया है और बालासाहेब के विचारों के साथ आगे बढ़ने में कोई गलती नहीं होगी।