छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई पर सियासत गरमाई,जंगल के जरिए 2024 की सियासत

Tribal protest Chhattisgarh Hasdev Aranya

छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन होते ही हसदेव अरण्य क्षेत्र में एक बार फिर से पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है। जिला प्रशासन और वन विभाग की अनुमति के बाद से पीईकेबी 2 परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई की जा रही है। फिलहाल लगभग 93 हेक्टेयर में करीब 9 हजार से ज्यादा हरभरे पेड़ों के कटाई होगी। इसकी योजना भी बना ली गई है। पिछली बार इन पेड़ों की कटाई को लेकर जो विवाद और विरोध प्रदर्शन हुआ था उसे देखते हुए इस बार प्रशासनिक महकमा पहले से ही अलर्ट मोड़ पर है। इस बार विरोध करने वाले कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है।

सरगुजा के हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों की कटाई शुरू हो गई है। जंगल को बचाने के लिए क्षेत्र के ग्रामीण बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके लिए हसदेव बचाओ अभियान भी लंबे समय से चलाया जा रहा है। वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि हसदेव क्षेत्र में कोयला खनन का विरोध कर रहे लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। वहीं हसदेव जंगल की कटाई को लेकर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि हसदेव जंगल की कटाई कांग्रेस के समय से ही शुरू हुई थी।

नई सरकार के खिलाफ मिला कांग्रेस को पुराना मुद्दा

विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। ऐसे में कांग्रेस को मौजूदा बीजेपी की राज्य और केन्द्र सरकार के खिलाफ पुरानी मुद्दा मिल गया है। कांग्रेस ने स्थानीय ग्रामीणों को साथ लेकर इस मुद्दे पर सियासी चाल चलना शुरु कर दिया है। राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने आंदोलन कर रहे आदिवासियों को अपना समर्थन दिया है। ये दोनों दो दिन पहले ग्रामीणों से मिलने भी गए थे। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के साथ साथ राजधानी रायपुर में भी कांग्रेस इसके विरोध में प्रदर्शन किया। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने राज्य विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया। जिसमें भाजपा सरकार पर उद्योगपति मित्रों का पक्ष लेने का आरोप लगाया है।

राजस्थान की बिजली कंपनी को मिली है जमीन

दरअसल राजस्थान राज्य विद्युत् वितरण कम्पनी को आवंटित और अडानी कंपनी की ओर से संचालित परसा ईस्ट केते बासेन टू कोल परियोजना के लिए पेड़ों के कटाई की अनुमति भारत सरकार की ओर से दी जा चुकी है। पेड़ों की कटाई और कोयला उत्पादन की अनुमति मिलने के बाद जिला प्रशासन की मदद से पहले दो बार पेड़ों की कटाई का काम शुरू किया गया, लेकिन दोनों ही बार ग्रामीणों के भारी विरोध के कारण पेड़ों की कटाई बीच में ही रोकनी पड़ गई थी। लेकिन अब सत्ता परिवर्तन होने के बाद एक बार फिर से पेड़ों की कटाई का काम शुरू किया गया है। हसदेव अरण्य क्षेत्र में आने वाले घाटबर्रा, साल्ही, फतेहपुर, बासेन, परसा और हरिहरपुर में पुलिस बल को तैनात किया गया।र फिर पेड़ों की कटाई शुरू की गई।

राज्य के तीन जिलों में हसदेव अरण्य फैला

हसदेव अरण्य उत्तर छत्तीसगढ़ के तीन जिलों तक फैला हुआ है। जिसमें सरगुजा और कोरबा के साथ सूरजपुर जिला शामिल है। यहां केन्द्र सरकार ने कोयला खदान का प्रस्ताव रखा है। हालांकि यहां रहने वाले स्थानीय आदिवासी जंगल की कटाई का कई साल से विरोध कर रहे हैं। आदविासी राष्ट्रीय स्तर पर भी आंदोलन कर चुके हैं। दरअसल विरोध की वजह ये भी है कि यह पूरा इलाका पांचवीं अनुसूची में शामिल है। ऐसे में यहां खनन से पहले ग्राम सभा की मंजूरी जरूरी है।वहीं आंदोलन करने वाले लोगों का दावा है कि ग्राम सभा की ओर से मंजूरी नहीं दी गई है। इतना ही नहीं ये पूरा क्षेत्र हाथियों का बसेरा है। सैकड़ों हाथी इन्हीं जंगली इलाकों में विचरण करते है। ऐसे में आशंका ये भी है कि जंगल अगर कट जाएंगे तो हाथी मानव की बीच लड़ाई चरम पर हो सकती है।

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