ट्रांसजेंडर को ‘शिव’ की सौगात,एमपी में ट्रांसजेंडर को मिला ओबीसी का दर्जा,नौकरी में मिलेगा आरक्षण का लाभ

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भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय को सौगात दी है। सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में बुलाई गई कैबिनेट बैठक में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए बड़ा फैसला लिया है। बैठक में ट्रांसजेंडर को पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल किया गया। इससे मध्यप्रदेश के करीब 30 हजार ट्रांसजेंडर के आरक्षण का रास्ता भी साफ हो जाएगा।

बता दें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने ये बड़ा फैसला लिया है। ओबीसी में शामिल होने के बाद अब ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरी में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। बता दें सुप्रीम कोर्ट के आदेश क्रमांक 93 के बाद क्रमांक 94 में ट्रांसजेंडरों को भी सम्मिलित किया है।

क्या थे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
बता दें ट्रांसजेंडर को भी थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ही नहीं राज्य सरकारों को भी निर्देश दिए थे। जिसमें कहा था कि ट्रांसजेंडर्स सामाजिक रूप से पिछड़ा समुदाय है। ऐसे में इस समुदाय को आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए।।

कर्नाटक ट्रांसजेंडर को आरक्षण देने वाला पहला राज्य

बता दें सार्वजनिक नौकरियों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए नौकरी में आरक्षण देने वाला कर्नाटक पहला राज्य है। यहां एक फ़ीसदी पद ट्रांसजेंडर आरक्षित किए हैं। पुलिस कॉन्स्टेबलों की भर्ती को चुनौती मिलने के बाद राज्य सरकार ने यह क़दम उठाया है। बता दें राज्य सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और जस्टिस सूरज गोविंदराज की खंडपीठ को सूचित किया कि उसने ट्रांसजेंडरों के लिए 1 फीसदी आरक्षण प्रदान करने के लिए कर्नाटक सिविल सेवा (सामान्य भर्ती) नियम, 1977 में संशोधन किया है। 13 मई 2021 को जारी एक मसौदा अधिसूचना में इस उद्देश्य के लिए नियम 9 में संशोधन करने का प्रस्ताव है। नियम 9 उप नियम (1डी) में प्रस्तावित संशोधन राज्य सरकार द्वारा सामान्य, अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति की प्रत्येक श्रेणी और अन्य पिछड़ा वर्ग की प्रत्येक श्रेणी में किसी भी सेवा या पद में भरी जाने वाली रिक्तियों का 1 फीसदी ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों को मुहैया कराने के लिए किया गया था। उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि जहां तक नियम 9 में संशोधन का संबंध है। उसे प्रारूप अधिसूचना पर कोई आपत्ति प्राप्त नहीं हुई है। इसके बाद छह जुलाई को इसने संशोधन करते हुए नियमों में उप-नियम (1डी) शामिल किया।

बिहार में ट्रांसजेंडर को बताया एक जाति

बिहार में ट्रांसजेंडरों ने नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल
राज्य में जारी जाति आधारित गणना में ट्रांसजेंडर को एक जाति के रूप में दर्शाया गया है। जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल बिहार में जातियों की अब संख्या के रूप में कोड के आधार पर पहचान की जाएगी। प्रत्येक जाति को 15 अप्रैल से 15 मई तक जाति आधारित गणना के महीने भर चलने वाले दूसरे चरण के दौरान उपयोग के लिए एक संख्यात्मक कोड दिया गया है। विभिन्न जातियों की सूची में थर्ड जेंडर को भी एक जाति कोड के आवंटन किया और उन्हें एक अलग जाति माना गया।

ट्रांसजेंडर को जाति मानना अन्याय है—रेशमा

स्वयंसेवी संगठन दोस्ताना सफर की संस्थापक सचिव रेशमा प्रसाद ने इसे लेकर राज्य सरकार की निंदा की है। उन्होंने कहा किसी की लैंगिक पहचान कैसे हो सकती है। एक मनुष्य उसकी जाति बन जाता है। क्या पुरुष या महिला को जाति के रूप में माना जा सकता है। इसी तरह ट्रांसजेंडर को जाति के रूप में कैसे माना जा सकता है। ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग किसी भी जाति के हो सकते हैं। सरकार का यह कदम ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों का संरक्षण से जुड़े नियमों के खिलाफ है। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के गैर भेदभाव को रोकने की बात करता है।

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