हिंदु धर्म में कई ऐसी प्रथाएं और परंपराएं है जो वैदिक काल से चली आ रही है.इन परंपराओं का मुख्य उद्देश्य हमारे जीवन में सुधार लाना है. ऐसी ही एक परंपरा है अपनों से बड़ो के पैर छूना. आप खुद भी अपने से बड़ो के पैर सम्मान देने के लिए छूते होंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसे क्यों किया जाता है ?अगर नहीं तो आपको बता दें कि पैर छूने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों ही है.अब हमारे पूर्वजों ने कोई परंपरा बनाई है तो उसके सारे पहलुओं को सोच कर ही बनाई होगी. चलिए आपको इन कारणों के बारे में बताते हैं.
बड़ों का मिलता है आशीर्वाद
पैर छूना किसी भी बड़े व्यक्ति को सम्मान देना दर्शाता है. इससे सामने वाले व्यक्ति के संस्कारों के बारे में पता चलता है. बच्चों को बचपन से ही इन सभी मूल्योंं की सीख दी जाती है जिसका उन्हें जीवनभर पालन करना होता है. बड़ो के पैर छूने से शरीर में सकारात्मकता का संचार होता है. धर्म ग्रंथों में भी बताया गया है कि भगवान कृष्ण ने भी सम्मान देने के लिए सुदामा के पैर छूएं ही नहीं थे बल्कि उन्हें धोया भी था. इसी के कारण पैर छूना हिंदु धर्म में बेहद अहम माना जाता है.
एक तरह का होता है व्यायाम
बड़ों के पैर छूने से हमे उनका आशीर्वाद मिलता है, लेकिन इसके साथ ही यह हमारे लिए एक व्यायाम की तरह काम करता है. पैरों को छूने के लिए बॉडी को पूरी तरह से झुकाना पड़ता है, जिससे ये एक तरह का व्यायाम बन जाता है. साइंस भी कहता है कि एनर्जी ऊपर से नीचे की ओर ट्रैवल करती है.ऐसे में पैर छूना हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित होता हैं.
पैर छूने का वैज्ञानिक कारण
विज्ञान के अनुसार मनुष्य के शरीर का आधा भाग ऋणात्मक धारा का संचार करता है तो वहीं शरीर का दाहिना भाग धनात्मक धारा का संचार करता है. ऐसे में जब हम पैर छूते है तो दोनों भाग एक साथ कार्य करने लग जाते है. इसलिए बड़ो द्वारा सलाह दी जाती है कि पैर छूते समय हाथों को क्रॉस कर लें क्योंकि जब हम किसी बड़े के चरण स्पर्श करते हैं तो उनके हाथों और पैर की उंगलियों के माध्यम से ऊर्जा का संचार हमारे शरीर में होता है.