विज्ञान कौ चुनौती देती है 800 साल बाद हुए पुर्नजन्म की ये कहानी

Rebirth

पुर्नजन्म की कहानी आपने भी सुनी होंगी। लेकिन कोई 824 साल बाद जन्म लेकर अपना पुर्नजन्म याद रख सकता है। ऐसा ही  एक अनोखा किस्सा है जिसमें भूटान क राजपरिवार में जिस बच्चे ने जन्म लिया उसको अपना 800 साल पुराना जन्म याद था वो भी 800 साल पुराना।

भूटान राजपरिवार पंहुचा था नालंदा

भूटान के राजपरिवार के मुताबिक प्रिंस वागंचुक ने  जब से बोलाना शुरू किया तभी से वो नालंदा की  सारनाथ की बातें करता था। लेकिन परिवार के लोगों  को विश्वास नहीं होता था। बड़े होते तक भी प्रिसं  वांगचुक उन बातों को नहीं भूले । प्रिंस को उनकी नानी महारानी दोरजीवांगुक आखिर नातिन की जिद पर उसे लेकर हिंदुस्तान आईं। नालंदा विश्वविद्यालय के कैंपस में आते ही प्रिसं वांगचुक ने एक एक कर सबकुछ बताया शुरू कर दिया।वागंचुक ने बताया कि कहां उनकी क्लास थी वो कहां बैठा करता था। कहां उनको मेडिटेशन कराया जाता था। हांलाकि बच्चे ने जिस जगह को बताया वो नालंदा के कैंपस में खंडहर में तब्दली हो चुका था । वांगचुक नए कैंपस को छोड़ पुराने कैंपस गया औऱ बताया कि उन खंडहर से उसके पुर्नजन्म की यादें किस तरह से जुड़ी हैं। कैंपस में आते ही बच्चे की चेहरे पर खुशी छलक उठी। प्रिंस वांगचुक ने वहां बुद्द की मुद्रा में ध्यान भी लगाया और बताया कि उसे प्रोफेसर वोरोचना पढ़ाया करते थे।

आठ सौ साल पुरानी बातों की पुष्टि नहीं हो सकी

अपनी नानी के साथ नालंदा पंहुचा तो किसी को  यकीन नहीं हुआ ऐसा लगा कि जैसे कोई परीकथा चल रही हो लेकिन प्रिंस की  बताई एक एक बात हकीकत की तरह लग रही थी।  हांलाकि आठ सौ साल से ज्यादा बीतने पर बच्चे की बातों को पुष्टि करने वाला कोई नहीं है लेकिन बच्चे का आत्मविश्वास और चेहरे की खुशी विज्ञान को चुनौती दे रही थी। क्योंकि अभी तक विज्ञान ने पुर्नजन्म पर कोई मुहर नहीं लगाई है।

 

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जानिए 800 साल बाद पैदा हुए, एक बच्चे की पुर्नजन्म की कहानी

 

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