आखिर क्या है बीजेपी की पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस, जो बनेगा फिर सत्ता हासिल करने का आधार
पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस के आधार पर मांगे जाएंगे वोट
पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस से बनेगा सत्ता का रास्ता
भोपाल में प्रबुद्दजन सम्मेलन में बोले अमित शाह
” प्रबुद्दजन सिर्फ वोटर नहीं हैं,आप करते हैं जनमत तैयार’
” प्रबुद्दजन की राय पर आम जनता वोट तय करती है”
‘प्रबुद्दजन करें बीजेपी के लिए जनमत तैयार”
पिछले दिनों लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मध्यप्रदेश दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने भोपाल मे प्रबुद्दजनों से संवाद से किया। संवाद के दौरान अमित शाह ने प्रबुद्द जनों से कहा कि हम आपके पास आए हैं क्योंकि आप सिर्फ वोटर नहीं हैं आप जनमत तैयार करते हैं। आपकी राय पर आम जनता वोट तय करती है। इसलिए आप हमारे लिए जनमत तैयार करें।
पहली बार सत्ताधारी दल के किसी नेता कही पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस की बात
अमित शाह ने अपनी अपील के पीछे का कारण भी स्पष्ट किया उन्होंने कहा कि बीजेपी पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस करती हो। हिंदुस्तान विश्व का सबसे बड़ा और सबसे मजबूत लोकतंत्र है। लेकिन पॉलिटिक्स ऑफ शायद पहली बार किसी दल के नेता के मुंह से सुना। नेता ही नहीं बल्कि सत्ताधारी दल नेता के मुंह से सुना। अगर शब्दों को समझने की कोशिश करें तो पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस का मतलब की प्रर्दशन की राजनीति। यहां प्रर्दशन से मतलब है जनता को क्या दिया देश को क्या दिया। कितने वादे किए और जो किए उसमे से कितने पूरे किए। इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि मेनीफेस्टों की टू डू लिस्ट में किन किन वादों पर क्रास लग चुका है। मतलब कि पूरे हो चुके हैं। वैसे तो सभी जानते है कि बीजेपी ने बहुत सारे वादे पूरे किए फिर चाहे वो गरीब को छत और अनाज देने की बात हो या फिर कश्मीर को आम आदमी के लिए सचमुच स्वर्ग बनाने की।
परफॉर्मेंस के साथ शाह ने गिनाईं दस साल की उपलब्धियां
अमित शाह ने परफॉर्मेंस की बात करने के साथ साथ दस साल की सरकार की उपलब्धि गिनाईं बताया प्रबुद्द जनों की सत्ता में आने के सालों पहले से बीजेपी ने कितने वादे किए और कितने पूरे किए। लेकिन हम समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर सत्ता में परफॉर्मेंस जैसे शब्दों की जरूरत कैसे और कब हुई। आजादी के सत्तर साल तक देश में कई सारे राजनैतिक दलों ने राज किया। सभी ने ढेरों वादे भी किए। जिन्हें हम आमतौर पर लोक लुभावन वादे ही कहा करते हैं। लगभग 75 साल में देश मे सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी का राज रहा और राज्यों में अलग अलग सरकारें आती जाती रहीं। लेकिन सालों राज करने के बाद कांग्रेस के अब तक कई सारे वादे पूरे नहीं किए और वाम दलों को भी कमोबेश यही हाल है। इस तरह से बीजेपी लगातार आरोप लगाती रही है। आजादी से लेकर अब तक बहुत पानी बह चुका है विकसित देश और विकसित हो गए इंटरनेट के जरिए वोटर्स खासकर युवा वोटरों में काफी जागरूकता आ गई है। यही वजह है कि अब देश की जनता की सरकारों से उम्मीद बढ़ गई है। वैसे भी कहा जाता है कि हर युग अपने तर्को और आवश्कताओं के आधार पर नेता का चयन करता है। ऐसे में देश के युवा को जो दल काम करता दिखेगा। रोटी कपड़ा मकान के साथ साथ डिजिटल इंडिया का सपना भी साकार करेगा वही राज करेगा। पिछले चुनावों के नतीजों में ये देखने को मिला कि सालों साल किसी सीट पर जीत हासिल करने के बाद भी कई बड़े चेहरों को हार का सामना करना पड़ा। फिर चाहे वह ज्योतिरादित्य सिंधिया का हो राहुल गांधी , मलिल्काअर्जुन खड़गे, एच डी देवगौडा या फिर शत्रुध्न सिन्हा।
बताई आजादी के शताब्दी वर्ष तक के कार्यक्रमों की लिस्ट
खास बात ये रही कि अमित शाह ने जनमत बनाने की अपील करने के साथ पिछले दस साल के काम तो गिनाए साथ ही उन्होंने आजादी के अमृतकाल से लेकर आजादी के शताब्दी वर्ष तक आने वाले कार्यक्रमों की लिस्ट गिना दी कि बीजेपी देश के लिए क्या करना चाहती है। कुल मिलाकर अब तय हो चुका है कि न्यू इंडिया पर वही राज करेगा जो परफॉर्मेंस और प्लानिंग दोनों की बात करेगा।