यहां लगा है गधों का ‘शॉपिंग मेला’…कौशांबी का गर्दभ मेला में लगती मुंह मांगी बोली…लाखों में होती है खच्चरों की कीमत..
उत्तर प्रदेश का कौशाम्बी इन दिनों सुर्खियों में है। यहां कड़ाधाम का प्रसिद्ध गर्दभ मेला शुरू हो गया है। मेले में देश भर के विभिन्न हिस्सों से कारोबारी खच्चर और घोड़े बेचने …खरीदने आते हैं। इस साल सबसे महंगा खच्चर करीब डेढ़ लाख रुपये में बिका है। वहीं मेले में लोगों की धार्मिक आस्था भी जुड़ी है। लोग मानते हैं कि यहां से खरीददारी करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती। बढ़ती पशुओं की संख्या के चलते सरकार की ओर से मेले में पशु चिकित्सा शिविर भी लगाया गया है।
कौशांबी के मेले में छाए खच्चर
डेढ़ लाख में बिका खच्चर ‘राजा’
पवन का ऐसा भाव, कोई नहीं खरीद पाया
खच्चर और घोड़ों की होती है यहां खरीद फरोख्त
बड़ी संख्या में पहुंचे भक्त
कड़ाधाम शीतला धाम में ऐतिहासिक गर्दभ मेला
कई प्रदेशों से श्रद्धालु भी शीतला धाम पहुंचे
मेले में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम
एसपी स्वयं रखे हुए हैं व्यवस्था पर नजर
मेले में सरकार ने लगाया अश्व चिकित्सा शिविर
वैसे तो कौशांबी 51 शक्तिपीठों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यहां कड़ाधाम का गर्दभ मेला भी प्रसिद्ध है, जो शुरू हो गया है। मेले में खच्चर के साथ घोड़े खरीदने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं। पहले दिन सबसे महंगा खच्चर जिसे राजा के नाम से उसका मालिक बुलाता था करीब डेढ़ लाख रुपये में बिका है। इसे मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में रहने वाले सलीम खान ने खरीदा है। वहीं इस दौरान छत्तीसगढ़ से आए एक व्यापारी का घोड़ा पवन जिसकी कीमत इतनी थी कि उसे कोई खरीदार नहीं मिल सका। बता दें शीतलाधाम कड़ा में लगने वाला गर्दभ मेला उत्तरप्रदेश ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, जम्मू,हरियाणा राज्यों में प्रसिद्ध है। इन राज्यों से यहां पहले दिन व्यापारी गर्दभ खच्चर की खरीददारी करने पहुंचे।
मेले से पशु खरीदना माना जाता है शुभ
मेले में आने वाले व्यापारियों की माने तो कड़ा धाम में लगने वाले मेले से जो भी व्यापारी गर्दभ की खरीदारी और बिक्री करता है उसके घर और परिवार में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती। यह भी मान्यता है कि उनके परिवार पर मां शीतला का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। इसी मान्यता के चलते हर साल चैत्र मास में लगने वाले गर्दभ मेले में खरीदारी और बिक्री के लिए हजारों की संख्या में व्यापारी पहुंचते हैं।