बिहार विधानसभा चुनाव 2025: सियासी गलियारों में बढ़ने लगी हलचल..जानें एनडीए और महागठबंधन में अखिर क्या चल रहा है

There is a lot of activity in the political circles regarding Bihar assembly elections

बिहार विधानसभा चुनाव: सियासी गलियारों में बढ़ने लगी हलचल..जानें एनडीए और महागठबंधन में अखिर क्या चल रहा है

बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई हैं। एनडीए और महागठबंधन में बैठकों का दौर तेज हो रहा है। नीतीश कुमार फिलहाल बिहार के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उनकी बढ़ती उम्र और उनकी गिरती सेहत एक बड़ा मसला बन चुकी है।

पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो दिन के दौरे पर बिहार आए थे। अब इसी महिने की 24 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मधुबनी आने वाले हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव के चलते राजनीतिक पार्टियां और महागठबंधन सक्रिय हो गए हैं। हर कोई अपनी सियासी ताकत बढ़ाने की कवायद कर रहा है। बिहार की राजनीति में दो बड़ी पार्टियां और गठबंधन सक्रिय हैं। जो चुनाव से पहले बिहार में अपनी ताकत का अनुकूलन करने के लिए खुद को फिर से स्थापित करते नजर आ रहे हैं।

पीएम मोदी मधुबनी से साधेंगे एक तीर से कई निशाने

हरियाणा में लगातार तीसरी बार भाजपा की जीत और एनडीए द्वारा 2024 के आम चुनावों में हुए नुकसान की भरपाई कर महाराष्ट्र में सत्ता में वापसी के बाद अब सब की निगाहें बिहार पर हैं। एक तरफ एनडीए और दूसरी तरफ आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों का महागठबंधन है। पिछले दिनों दिल्ली में आरजेडी और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच बैठक हुई थी। जिसके बाद अब ​पटना मे चर्चा होनी है। पिछले महीने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य का दो दिवसीय दौरा किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 24 अप्रैल को बिहार के मधुबनी आ सकते हैं।

महागठबंधन के घटक दलों में अविश्वास

महागठबंधन के घटक दलों में अविश्वास है। कांग्रेस और वामपंथी इससे चिंतित हैं कि आरजेडी सीटों के बंटवारे को अंतिम क्षण पर छोड़ सकती है। जिससे उन्हें पैंतरेबाज़ी करने का बहुत कम समय मिलेगा। इसके अतिरिक्त कांग्रेस ने शिकायत की है कि उसे अक्सर कम सीटे दी जाती हैं। खराब स्ट्राइक रेट के लिए आलोचना की जाती है। साल 2020 के चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार की 70 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस केवल 19 सीटें जीत सकी थी। सीपीआई (एमएल) जिसने 2020 के चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 19 सीटों में से 12 सीटें जीतीं। सीपीआई ने भी दुख जताया है कि मजबूत कैडर के बावजूद, उसे कम सीट दी जाती है।

आरजेडी को भी अपनी पार्टी में चुनौतियों का सामना करना है। 2005 के बाद से यह राज्य की सत्ता में वापस नहीं आ पाई है। साल 2015 और 2022 में जेडी (यू) के साथ गठबंधन कर सरकार में आने के कुछ छोटे अंतराल को छोड़ दें तो इसका वोट शेयर स्थिर बना हुआ है।

हाल ही में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के अलग हुए चाचा पशुपति कुमार पारस ने एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया है। वहीं राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की जन सुराज मुहिम को राज्य में पैर जमाने में संघर्ष करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर बिहार में इस समय एक खुली प्रतियोगिता चल रही है, जो चुनाव तक जारी रहेगी।

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