मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार 16 दिसंबर 2024 से प्रारंभ हो रहा है। साल 2024 का ये आखरी सत्र है जो 20 दिसंबर तक चलेगा। इसके बाद फरवरी—मार्च में बजट सत्र का आयोजन किया जाएगा। इस बार भी मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र अपेक्षाकृत छोटा ही है, लेकिन इसमें अनुपूरक बजट के साथ नए विधायकों के शपथ ग्रहण से लेकर, विभिन्न विधेयकों पर चर्चा होने की संभावना है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर बहस इस सत्र को और भी महत्वपूर्ण बनाएगी। जिससे शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने के आसार पहले से ही नजर आ रहे हैं।
- सोमवार 16 दिसंबर से प्रारंभ होगा विधानसभा का सत्र
- मप्र की सोलहवीं विधानसभा का चौथा सत्र है यह
- शीतकालीन सत्र के दौरान होगी पांच बैठकें
- 20 दिसंबर तक चलेगा विधानसभा सत्र
- पांच दिन के सत्र में कई मुद्दों पर होगा हंगामा
- विपक्ष ने पहले ही दिन की घेराव की तैयारी
- सड़क से लेकर सदन तक गर्मायेंगे मुद्दे
माना जा रहा है कि बजट सत्र की तरह इस शीतकालीन सत्र में भी मोहन सरकार और विपक्ष दोनों के तेवर आक्रामक नजर आने वाले हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने मोहन सरकार के मंत्रियों को घेरने की खास तैयारी कर ली है। वहीं मोहन सरकार के मंत्रियों की ओर से भी सदन में सही ढंग से सवालों के जवाब देने की तैयारी की है। पांच दिन के इस सत्र में तीन नए विधायक भी सदन की सदस्यता ग्रहण करेंगे। इसके अलावा अनुपूरक बजट के साथ ही इस सत्र में कई महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक भी सरकार की ओर से पेश किये जाने की उम्मीद है। कांग्रेस ने सड़क से सदन तक सरकार की घेराबंदी करने की तैयारी कर रखी है। कांग्रेस ने सड़क से लेकर सदन तक मोहन सरकार को पहले ही दिन से घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। कानून व्यवस्था के साथ ही कई मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर कांग्रेस सदन में सरकार से सवाल करेगी।
सप्रे पर सियासत….जानें किस खेमे में बैठेंगी ‘निर्मला’
मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार 16 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। इस बार सदन के हंगामेदार होने के आसार पहले से ही नजर आ रहे हैं। चर्चा इस बात को लेकर भी हो रही है कि क्या विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सागर बीना से विधायक निर्मला सप्रे किसके साथ सदन में किस खेमे के साथ बैठेंगी। क्योंकि उनकी विधायकी को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। विपक्ष की ओर से निर्मला सप्रे की विधायकी संबंधित याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष से शीघ्र फैसला लेने की मांग की जा रही है। इसके साथ ही उसने सत्र के दौरान निर्मला सप्रे को अपने खेमे में बैठाने से भी साफ इंकार कर दिया है। दरअसल निर्मला सप्रे के बीजेपी के कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद से ही कांग्रेस की ओर से लगातार उनकी विधायकी खत्म करने की मांग की जाती रही है।
अब जबकि विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है तो कांग्रेस ने भी यह साफ कर दिया है कि निर्मला सप्रे को कांग्रेस सदन में अपनी पार्टी के विधायकों के साथ नहीं बैठाएगी। और न ही कांग्रेस की ओर से उन्हें विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। बता दें कि नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की ओर से विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष दल बदल कानून के तहत निर्मला सप्रे की विधायकी शून्य करने की मांग की गई थी। हालांकिन विधानसभा अध्यक्ष ने अभी तक इसपर कोई फैसला नहीं लिया है।