केजरीवाल और केंद्र के बीच खींचतान जारी

केजरीवाल और केंद्र के बीच खींचतान जारी

दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच ठनी हुई है. ताजा मामला है केजरीवाल के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी को लेकर है. सत्येंद्र जैन से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूछताछ की थी लंबी पूछताछ के बाद उनकी गिरफ्तारी भी हो गई. सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो केद्र सरकार को खुला ऑफर दे डाला, वो भी उनकी पूरी कैबिनेट को अरेस्ट करने का ऑफर के साथ- साथ केजरीवाल ने तर्क भी दिया कि अगर केंद्र सरकार ने एक- एक कर उनके मंत्रियों को अरेस्ट किया तो दिल्ली का विकास रूक जाएगा.

इसलिए उनका ऑफर है कि केंद्र सरकार एक ही बार में पूरी कैबिनेट को अरेस्ट करें और जांच के बाद छोड़ दे. हालांकि केंद्र और केजरीवाल के बीच तना तनी का ये पहला मौका नहीं है. इससे पहले भी केंद्र और केजरीवाल आमने- सामने आते रहे हैं.

जानिए कब- कब आमने- सामने रहे केंद्र और केजरीवाल

दिल्ली में पहली बार केजरीवाल की सरकार दिसंबर 2013 में बनी थी. उसके बाद से ऐसे कई मौके आए कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्र की मोदी सरकार में लगातार खींचतान मची रही.

1.सबसे पहले 1 मई 22 में ईडी की पूछताछ में  आप सरकार के स्वास्थ्य मंत्री का गिरफ्तार होना.

2.इससे पहले मार्च 22 में दिल्ली में MCD चुनावों को लेकर केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि  केंद्र सरकार दिल्ली में MCD इलेक्शन नहीं कराने दे रही.

3.मार्च 21 में कोरोना की दूसरी लहर में लगे. लॉकडाउन पर दिल्ली सरकार ने कहा कि हम तो लॉकडाउन नहीं चाहते, लेकिन केंद्र सरकार ने लगा दिया.

4.जून 2021 में मुफ्त राशन बांटने की दिल्ली सरकार की योजना को केंद्र ने हरी झंडी नहीं दी.

5.अफसरों की ट्रासंफर पोस्टिंग के अधिकारों को लेकर भी विवाद हुआ जिसमें केंद्र ने उपराज्यपाल के अधिकारों में इजाफा कर दिया था और अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग का काम दिल्ली सरकार के हाथ में नहीं छोड़ा था.

6.इसके अलावा कई मौके पर दिल्ली सरकार के दूसरे जरूरी कामों को लेकर केंद्र सरकार के सिर ठीकरा फोडा गया था.

7.कोरोना को लेकर पीएम मोदी की बैठक को सीएम केजरीवाल ने लाइव करवाई थी. जिसे लेकर भी केंद्र और केजरीवाल सरकार के बीच तानातनी हुई थी.

क्यो होते हैं केंद्र और केजरीवाल में विवाद

दरअसल, अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप अकेली ऐसी पार्टी है जिसने कुछ ही समय में वोटरों के बीच अपनी पैठ बना ली, बल्कि देश के राजधानी में केंद्र सरकार की नाक के नीचे तीन बार से दिल्ली की सत्ता पर राज कर रही है. वहीं दिल्ली दूर है जैसे नारों के बीच केजरीवाल ने पहला कब्जा दिल्ली पर किया और बाद में पंजाब और अब अलग- अलग राज्यों में केजरीवाल अपनी सरकार की संभावनाएं तलाश रहे हैं. मध्यप्रदेश में भी अब नगरीय निकाय चुनावों में आप अपने उम्मदीवार उतारने वाली है.

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