आज भी प्रेम की निशानी ताज महल बना है पर्यटकों की पहली पसंद…पांच साल में हुई इतनी आमदानी

The Taj Mahal a symbol of love remains the first choice of tourists

आज भी प्रेम की निशानी ताज महल बना है पर्यटकों की पहली पसंद…पांच साल में हुई इतनी आमदानी

पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ASI के संरक्षित स्मारकों में शामिल आगरा का ताज महल अब भी दर्शकों की पहली पसंद बना हुआ है। दर्शकों की संख्या और टिकट से राजस्व संग्रहण की दृष्टि से ताज महल Taj Mahal लगातार पांचवे साल पर्यटकों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।

पिछले साल 2024 ताज महल को 67.80 लाख से अधिक लोगाें ने निहारा था। टिकट बिक्री से करीब 98.55 करोड़ रुपए की आमदानी अर्जित हुई थी। अब भी दर्शक प्रेम की इस निशानी को देखने के लिए लालायित रहते हैं। ताजमहल से पिछले पांच साल के दौरान करीब 297 करोड़ रुपए की आय हुई है।

स्मारक टिकट से इतना राजस्व मिला

शाहजहां ने करवाया था ताजमहल का निर्माण

मुगल बादशाह शाहजहां ने 17वीं शताब्दी में सफेद संगमरमर पत्थर से ताजमहल का निर्माण कराया था। साल 1983 से यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में यह शामिल हैे। टिकट की आय के लिहाज से यह धरोहर दूसरे नंबर पर दिल्ली की कुतुब मीनार और तीसरे नंबर पर लाल किला रहे। दुनिया के सात अजूबों में गिने जाना वाला भारत के खूबसूरत ताज महल taj mahal का दीदार करना लोगों को सबसे अधिक पसंद है।

कैसे आगरा में बना ताजमहल

शाहजहां मुमताज की याद में स्वर्ग की तरह सुंदर इमारत बनवाना चाहते थे। उसके लिए शाहजहां को एक अच्छी जगह की तलाश थी। शाहजहां ने जगह की तलाश शुरू की। पहले तय हुआ कि ताजमहल को बुरहानपुर में बनाया जाएगा ताप्ती नदी के किनारे । लेकिन इसके लिए दो अड़चने सामने थे ताप्ती नदी की मिट्टी में दीमक थी जिसके चलते ताजमहल की नींव कमजोर पड़ जाती।
मुमताज के मकबरे को स्वर्ग की तरह सुंदर दिखने के लिए उसे नदी किनारे सफेद संगमरमर से बनाया जाना तय हुआ था।
उस समय राजस्थान से मार्बल लेकर बुरहानपुर तक लाना कठिन था। इसलिए ताजमहल के लिए आगरा को चुना गया।
यहां राजा मानसिंह की जमीन पर ताजमहल बनकर तैयार हुआ। यह जगह युमना किनारे थे और यहां सफेद संगमरमर भी आसानी से लाया जा सकता था।

कैसे हुई मुमताज की मौत

ताजमहल को शांहजहां ने अपनी तीसरी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था। मुमताज महल की मौत अपने चौदहवें के बच्चे के जन्म समय हुई थी। जब मुमताज की मौत हुई वो बुरहानपुर में थी। मध्यप्रदेश का बुरहानपुर जिला ताप्ती नदी के किनारे बसा है। इस जिले को मुगल दकक्न का दरवाजा कहते थे क्योंकि यही पर डेरा डालकर मुगलों ने दक्षिण भारत तक राज करने के मंसूबे बनाए थे। यहां से मराठा और मुगलों का युद्द शुरू हुआ। इस इलाके को अकबर ने जीता था। उसके बाद मुगलों ने यहां सेना के साथ डेरा डाला और मराठों पर आक्रमण की योजना बनाई थी।

पहले आहूखाने में दफनाया था मुमताज को

मुमताज को पहले बुरहानपुर के आहूखाने में दफनाया गया था। ताजमहल बनने के बाद उनकी कब्र को बकायदा एक जुलूस की शक्ल में आगरा ले जाया गया और वहां उनको दफन किया गया। आहूखाना उस समय जैनाबाद में हुआ करता था। आहूखाना वो जगह थी जहां मुगल रानियां शिकार किया करती थी। इसी जौनाबाद में सबसे पहले मुमताज को दफनाया गया। छह महीने बाद इस कब्र को आगरा ले जाया गया।—-  प्रकाश कुमार पांडेय

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