प्रयागराज में पौष पूर्णिमा स्नान के साथ ही महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। सोमवार को करोड़ों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इस दौरान यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश की गई। महाकुंभ में दूसरे दिन मकर संक्रांति के पावन पर्व पर विभिन्न अखाड़ों के साधुओं ने शाही स्नान किया। त्रिवेणी संगम पर पहले महानिर्वाणी पंचायती अखाड़े ने पवित्र डुबकी लगाई। इसके साथ शाही स्नान शुरू किया गया। शाही स्नान के लिए त्रिवेणी संगम पहुंचे नागा साधु संन्यायी मुख्य आर्कषण के केन्द्र बन गये।
- सन्यासियों का यह रहस्य कर देता आपको हैरान
- नागा संन्यासी अमृत स्नान से पहले करते हैं छावनी में स्नान
- छावनी में स्नान से करते हैं स्वयं को शुद्ध
- अमृत स्नान से पहले शरीर पर भस्म लगाते हैं नागा संन्यासी
- अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे नागा संन्यासियों करते हैं भस्मी स्नान
- मां गंगा के प्रति रहती है नागा साधुओं में विशेष आस्था
- तन के मैल से मैला न हो जाए मां गंगा का पवित्र जल
दरअसल अखाड़ों के नागा संन्यासी महाकुंभ का मुख्य आकर्षण होते हैं। स्नान के लिए निकले नागाओं का अंदाज भी अपने आप में निराला होता है। 12 साल के लंबे इंतजार के बाद महाकुंभ के अमृत स्नान में पतित पावनी मां गंगा में स्नान करने की खुशी नागा संन्यासियों के चेहरों पर अलग ही नजर आती है। नागा संन्यासी अपने शरीर पर भस्म लगाकर चलते हैं। बताया जाता है कि गंगा में डुबकी लगाने के लिए निकलने से पहले यह नागा संन्यासी अपने पूरे शरीर पर भस्म लगाते हैं। शाही स्नान के लिए त्रिवेणी संगंम पर पहुंचने के बाद इन नागा संन्यासियों का उत्साह दोगुना हो जाता है। नागा उन्मुक्त भाव से मां गंगा के जल में उसी तरह उछलते कुदते और मचलते हैं, जैसे कोई बच्चा अपनी मां को देखकर उछलता और मचलता है। नागा साधुओं की मां गंगा में विशेष आस्था रहती है।
जीते जी कर देते हैं अपना और माता पिता का पिंड दान
संन्यासी बने नागा साधुओं की मां गंगा के प्रति अथाह श्रद्धा रहती है। तन के मैल से मां गंगा का जल मैला न हो इसके लिए ये नागा संन्यासी अमृत स्नान से पहले अपनी छावनी में स्नान करते हैं और स्वयं को शुद्ध करते हैं।
दरअसल नागा संन्यासी यह नहीं चाहते कि जब वे पतित पावनी मां गंगा की धार में अमृत स्नान पर पुण्य की डुबकी लगाएं तो मां गंगा की गोद में कोई गंदगी न जाने पाए। जूना अखाड़ा, आहवान अखाड़ा, निरंजनी, आनंद, महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के नागा संन्यासी अमृत स्नान से पहले स्नान कर अपने तन का शुरु करते हैं। इसके बाद अखाड़े में फहराई गई धर्म ध्वजा के नीचे अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं। जिसे इन नागा संन्यासियों का भस्मी स्नान भी कहा जाता है।
भस्मी स्नान का वैज्ञानिक महत्व
गंगा में अमृत स्नान से पहले संन्यासी जो भस्मी स्नान करते हैं उसके पीछे का इनका उद्देश्य मां गंगा के आंचल को स्वच्छ रखना ही होता है, लेकिन इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल नागा संन्यासी जो अपने शरीर पर जो भस्म लगाते हैं, उसमें कई ऐसे केमिकल रहते हैं जो खराब वैक्टीरिया और कीटाणु को नष्ट कर देते हैं।