पायलट के इस कदम से संकट में आए गहलोत

पायलट के इस कदम से संकट में आए गहलोत

राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत के सामने सबसे बड़ी परेशानी बनकर सचिन पायलट ही खड़े हुए है. क्योंकि सचिन पायलट आवाज उठाते है, वैसे ही पार्टी दो खेमों में बंट जाती है. एक बार फिर उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने आवाज उठाई है. पायलट ने सीएम गहलोत को एक पत्र लिखकर उनकी चिंता और भी बढ़ा दी है. पायलट के पत्र से सूबे की सियासत एक बार फिर गर्म हो गई है. माना जा रहा है की पायलट का पत्र एक बार फिर राजस्थान की सरकार में उथप पुथल मचा सकता है.

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. जहां पहले कुर्सी को लेकर कलह मची हुई थी तो, अब जनता की समस्याओं को लेकर पायलट गहलोत के सामने आ गए है. पायलट ने एक बार फिर सरकार को पत्र लिख डाला है, जो गहलोत के माथे पर चिंता की लकीरे लेकर आ सकती है. पायलट ने सीएम गहलोत को पत्र लिखते हुए कहा है कि उनके विधानसभा क्षेत्र टोंक में सिंचाई के लिए पानीं नहीं है. इसलिए बीसलपुर डैम से किसानों के सिंचाई के पानी की व्यवस्था की जाए. उन्होंने आगे कहा है कि अन्नदाता कई बार इस परेशानी को सरकार के सामने रख चुके है, लेकिन अबतक कोई समाधान नहीं निकाला है. उन्होंने कहा है की अगर कोई कदम नहीं उठाया गया तो किसान सड़कों पर आ जाएंगे.

पायलट का यह पत्र सरकार को मुश्किल में डाल सकता है. क्योंकि इससे सीएम गहलोत की छवि गलत जाएगी और पायलट जनता के मशीहा बनकर उतरेंगे. लेकिन यह कोई पहला मौका नहीं है जब उन्होंने जनता से जुड़े मुद्दे को उठाया हो. इससे पहले भी वो पत्र लिखकर आरक्षण का मुद्दा उठा चुके है. पायलट ने कहा था की विधानसभा चुनाव 2018 के घोषणा पत्र में अति पिछड़ा वर्ग एमबीसी के लिए 5 फीसदी आरक्षण देने का वायदा किया गया था. लेकिन मुझे यह बताया गया कि राज्य सरकार ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2018, रीट भर्ती 2018, टेक्निकल हेल्पर भर्ती 2018, आशा सुपर वाइजर भर्ती 2016 और अन्य भर्तियों में एमबीसी से जुड़ी जातियों को 5 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया गया. जबकि इस आरक्षण को देने के लिए सरकार ने प्रतिनिधयों से समझौता भी किया था. इस पत्र के बाद सरकार सकते में आ गई थी. हालांकी सीएम गहलोत ने इस पत्र पर तो एक्शन ले लिया था. लेकिन अब देखना होगा की पायलट के किसानों वाले मुद्दे वाले पत्र पर गहलोत क्या कदम उठाते है.

 

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