इंदौर के राजवाड़ा से निकली ऐतिहासिक रंगारंग गेर…होलकर राजवंश की परंपरा का किया पालन…

इंदौर के राजवाड़ा से निकली ऐतिहासिक रंगारंग गेर…होलकर राजवंश की परंपरा का किया पालन…

इंदौर में गेर की धूम मच गई। गेर में देशभक्ति, राधा कृष्ण की रासलीला के साथ और भी कई रंग सजे हुए नजर आए। गेर में लठ्ठमार होली और श्री कृष्ण की झांकी आकर्षण का केंद्र बन रही।

लाखों की भीड़..सब थे रंग में रंगे
कई रंगों से सजी इंदौर की गेर
कृष्ण की झांकी बनी आकर्षण का केन्द्र

इंदौर में पिछले 75 साल से यह आयोजन चल रहा है। इस पारंपरिक आयोजन में फाग यात्रा में झांकियां भी शामिल की गईं। ब्रज की लठ्ठमार होली के साथ रासरंग, श्रीकृष्ण की झांकी आकर्षण का केंद्र बनी हुई थीं।

बता दें इंदौर की गेर धूमधाम से मनाई गई। गेर में लाखों लोग मौजूद रहे। इससे कुछ लोगों की तबीयत भी बिगड़ गई। अधिक भीड़ के कारण गेर में शामिल तीन लोग बेहोश होकर सड़क पर गिर गए थे। जिन्हें एंबुलेंस की मदद से अस्पताल भेजा गया। बता दें मध्य प्रदेश में रंग पंचमी पर अलग ही उल्लाह और उत्साह देखने को मिलता है। इस दिन इंदौर में विश्व प्रसिद्ध गेर और चल समारोह निकाला जाता है। वहीं मध्यप्रदेश के अन्य हिस्सों में भी हुलियारों की रंगत देखने को मिलती है। चारों ओर रंग-गुलाल का माहौल रहता है। कहीं फाग महोत्सव होता है तो कहीं नगर निगम के फायर फाइटर वाहन रंग की बौछार करते हैं। विचित्र वेशभूषा में लोग रंगपंचमी मानने निकलते हैं।

गेर देखने के लिए बुक की 370 छतें!
होली के पांचवें दिन रंग पंचमी मनाई गई। दौरान इंदौर में गेर का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया। हर साल की तरह इस बार भी विश्व प्रसिद्ध गैर निकाली। जिसका रूट तीन किलोमीटर लंबा रहा। गेर में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। इंदौर कलेक्टर ने बताया इस बार तीन गेर और एक फाग यात्रा निकाली। जिसमें 370 लोगों ने अपने अपने घरों की छत की बुकिंग कराई थी। इस साल की गेर में बुक माई शो पर प्रति व्यक्ति 100 रुपये का चार्ज किया गया था। राजवाड़ा क्षेत्र स्थित टोरी कॉर्नर से सुबह साढ़े 10 बजे गेर निकलने का सिलसिला शुरू हुआ। गेर को देखने के लिए शहर भर से लाखों हुरियारों की टोलियां राजवाड़ा पहुंची।

इंदौर की गेर परंपरा होलकर राजवंश के समय से ही चली आ रही है। इस दिन होलकर राजवंश परिवार के सदस्य आमजन के साथ होली खेलने के लिए निकला करते थे। जिसकी शुरुआत में वे बैलगाड़ियों में फूल और रंग लेकर शहर की सड़कों पर निकलते थे। वहीं होलकरों की ओर से समाज के सभी वर्गों के साथ मिलकर इस त्योहार को मनाने के उद्देश्य से यह परंपरा शुरू की थी।

प्रकाश कुमार पांडेय

 

 

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