अपने को पीएम मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान का इंतजार लंबा होता जा रहा है। उनको 12, जनपथ का बंगला खाली करके नॉर्थ एवेन्यू में रहना पड़ रहा है और नीतीश कुमार के एनडीए से बाहर होने के 15 महीने बाद भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनको जगह नहीं मिली है। अब भी उनके पिता की बनाई पार्टी के उत्तराधिकारी के तौर पर उनके चाचा पशुपति पारस केंद्र सरकार में मंत्री हैं।
- चिराग पासवान ने बताया था स्वयं के पीएम का हनुमान
- पीएम ने भी दिया था गले लगाकर संकेत
- नड्डा ने भी बताया था मुख्य धड़े का नेता
- चाचा पशुपति पारस है अभी केन्द्र में मंत्री
- स्थपना दिवस पर चिराग को मंत्री बनाने की चर्चा
समर्थकों में जागी ये उम्मीद
इसी जुलाई में एनडीए की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने जिस अंदाज में चिराग को गले लगाया था। उससे पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनको लोक जनशक्ति पार्टी के मुख्य धड़े का नेता बताया था उससे लग रहा था कि उनको केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जाएगा। लेकिन इंतजार है कि खत्म ही नहीं हो रहा है। अब एक बार फिर इस बात की चर्चा हो रही है कि उनको केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जाएगा। उनके समर्थक कह रहे हैं कि किसी भी समय प्रधानमंत्री मोदी अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल का ऐलान कर सकते हैं, जिसमें चिराग पासवान को मंत्री बनाया जाएगा। नीतीश की काट में भाजपा को दलित और अत्यंत पिछड़ी जाति के नेता को आगे करना है। तभी यह भी चर्चा है कि किसी अति पिछड़ी जाति के नेता को भी केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। गौरतलब है कि बिहार में जाति गणना के आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा 36 फीसदी आबादी अत्यंत पिछड़ी जाति की है। यहां तक कहा जा सकता है कि भाजपा अति पिछड़ी जाति के ऐसे नेता को भी केंद्र में मंत्री बना सकती है, जो सांसद न हो। बिहार की जातीय राजनीति को देखते हुए मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल का मामला दिलचस्प हो रहा है।
2019 में पांच सीटों पर मिली थी जीत
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुट केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाली रालोजपा और वहीं दूसरी ओर चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा दोनों ने पिछले दिनों शक्ति प्रदर्शन किया था। लोजपा का स्थापना दिवस आज 28 नवंबर को है। ऐसे में रालोजपा की ओर से जहां बिहार के हाजीपुर में स्थापना दिवस को लेकर खास तैयारी की थी वहीं लोजपारा की ओर से पटना के बापू सभागार में कार्यक्रम आयोजित किया गया। दरसअसल यह शक्ति प्रदर्शन लोकसभा चुनाव को लेकर है। इस चुनाव में एनडीए में अधिक से अधिक सीटों पर दावेदारी के लिए शक्तिप्रदर्शन किया जा रहा है। इधर विशेष वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करने उद्देश्य से भी दोनों ही गुट स्वयं को लोक जन शक्ति पार्टी का वास्तविक हकदार और दावेदार साबित करने में जुटे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में लोजपा को आधा दर्जन सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि रामविलास पायवान के निधन के बाद जब विधानसभ चुनाव में लोजपा ने तैयारी की तो चुनाव से पहले ही विभाजन हो गया। पशुपति पारस के नेतृत्व में गठित रालोजपा में 5 सांसद शामिल हो गये। ऐसे में लोकजनशक्ति पार्टी रामविलास वाली में चिराग पासवान अकेले रह गये थे।
पारस हाजीपुर से ही लड़ेंगे चुनाव
वहीं केन्द्र में मंत्री बनने के बाद पशुपति पारस खुद हाजीपुर सीट से तैयारी में जुट गए हैं। 2024 के चुनाव में वे हाजीपुर से मैदान में मेे उतरेंगे। वैसे पार्टी के स्थापना दिवस की कमान उन्होंने स्वयं संभाल रखी थी। पटना के साथ हाजीपुर को पार्टी और दलित सेना के बैनर, होर्डिंग्स और झंडे के साथ पोस्टर व तोरण द्वार से दुल्हान की तरह सजा दिया गया है। पशुपति पारस का कहना है हाजीपुर उनके नेता रामविलास पासवान की कर्मभूमि रह चुकी है। लिहाजा उन्होंने स्थापना दिवस हाजीपुर में मनाने का फैसला लिया, वे यहां पर ही पूरे समय सक्रिय रहे।