उत्तर प्रदेश में 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी दल बीजेपी के साथ सभी पार्टियों को निकाय चुनाव की अग्नि परीक्षा और शक्ति प्रदर्शन से गुजरना है। जिसे लेकर सभी दलों ने अपनी कमर कस ली है लेकिन कई प्रमुख दल ऐसे भी हैं। जिनके सामने सबसे ज्यादा अपने अस्तित्व को बनाएं रखने के साथ पार्टी को बचाए रखने की भी प्रतिष्ठा दांव पर है।
- 2024 से पहले यूपी में अग्नि परीक्षा
- यूपी में दो चरणों में निकाय चुनाव
- कई दलों के सामने अस्तित्व का संकट
- सबसे ज्यादा चुनावी चिंता में बीएसपी
- बीएसपी की राजनीति का दरकता किला
- कानपुर में ननि में प्रत्याशी का आभाव
- बीजेपी को कई जगह नहीं मिले प्रत्याशी
- नाराज मायावती ने हटाए पदाधिकारी
- कई जिलों में किया भारी परिवर्तन
उत्तर प्रदेश में सत्ता दल बीजेपी को हराने के लिए मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के साथ बीएसपी ही नहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पूरी ताकत से चुनावी मैदान में हैं। क्योंकि यह निकाय चुनाव ही आगामी लोकसभा चुनाव की हवा तैयार करेंगे। ऐसा माना जा रहा है, लिहाजा यूपी में दो चरणों में निकाय चुनाव संपन्न होने हैं। यूपी में सबसे ज्यादा बीएसपी के सामने चुनावी चिंता बनी है। जिस बीएसपी का यूपी में सियासी उदय हुआ था उसी राजनीतिक सूरज रोशनी हर चुनाव में डाउन होती नजर आ रही है। नतीजन पहले चरण में कानपुर के साथ कई नगर निगम और नगर पालिका के साथ नगर पंचायत में बीएसपी को प्रत्याशी ही नहीं मिले। ऐसे में नाराज बीएसपी प्रमुख मायावती ने जोनल कोआर्डिनेट मुनकाद अली को कानपुर की जिम्मेदारी से हटा दिया। इतना ही नहीं कई जिलों में भारी परिवर्तन किया है।
सपा और आरएलडी का आरोप
बीएसपी को पहले चरण में कई सैकड़ा वार्डों में प्रत्याशी न मिलने पर पार्टी के दरकते और कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच विश्वास खोना माना जा रहा है। अब तो बीएसपी पर सपा और आरएलडी ने भाजपा को बी टीम होने का भी आरोप लगाया है। सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा बीएसपी केवल बीजेपी के सिलेक्ट किए हुए प्रत्याशी उतारती है। जिससे सपा को हराया जा सके।
BSP पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप
वहीं बीएसपी से लोगों का विश्वास उठ रहा है। हालात इस कदर बिगड़े हैं कि अब पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है। लिहाजा कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अशोक सिंह ने भी बीएसपी को बीजेपी की बी टीम और जनाधार खो चुकी पार्टी करारा दे दिया।