इस देश में मिलती हैं पर्यटकों को किराए की ‘बीवी’… पैसे के लिए बनती हैं पर्यटकों की ‘रेंटल वाइफ’

Thailand Foreign Tourist Tourist Rental Wife

थाईलैंड में अगर कोई पर्यटक अपनी बीवी को साथ लेकर नहीं गया और उसे किराये पर बीवी मिल सकती है। जी हां थाईलैंड में रेटल वाइफ का चलन इन दिनों काफी बढ़ता जा रहा है। इसे आसान भाषा में कहें तो इस देश में किराए की बीवियां आसानी से मिल जाती हैं। दरअसल इस देश में यह चलन में है। ऐसी बीवियों को वहां ब्लैक पर्ल भी कहा जाता है।

एशिया के दक्षिण पूर्व में स्थित द्वीप देश थाईलैंड दुनिया के एक प्रमुख पर्यटन स्थल में शामिल है। दुनिया भर के पर्यटक यहां के खूबसूरत समुद्र तटों का नजारा देखने आते हैं। समुद्र से घिरा होने के चलते यहां साल भर पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है। पर्यटन इस देश के लोगों की आय का एक प्रमुख जरिया भी है। स्थानीय लोगों की आजीविका भी काफी हद तक पर्यटकों से जुड़ी हुई है। लेकिन यहां एक ऐसी प्रथा चलन में हैं जो इसे दूसरे पर्यटन देशों से अलग करती है।

पिछले दिनों इस संबंध में एक पुस्तक भी प्रकाशित हुई थी। यह पुस्तक काफी चर्चा में रहीं। दरअसल थाईलैंड के पटाया में यह विवादास्पद प्रथा आज भी जारी है। लोग यहां इसे किराये पर बीवी यानी वाइफ आन हायर उद्योग कहते हैं। बता दें विवाह की एक यह अस्थायी व्यवस्था है। जिसमें महिलाएं खासकर गरीब और ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं कुछ पैसे लेकर विदेशी पर्यटकों की बीवी बन जाती हैं।

थाईलैंड स्थित पटाया के रेड लाइट जिले के बार और नाइट क्लब में होती है। पुस्तक में यह भी लिखा गया है कि को किराए पर देने की विवादास्पद और छिपी हुई प्रथा आज भी वल रही है। पैसों के लालच में यह प्रथा फिर से बढ़ने लगी है। एक तरह से आय के स्रोत के रूप में यह बिजनेस की तरह उभरा है। खासतौर पर ऐसे युवाओं के लिए जो पारंपरिक तौर पर नौकारियों में अच्छा पैसा नहीं कमाते हैं। वे रेंटल वाइफ या रेंटल गर्लफ्रेंड जैसी विवादास्पद सेवाओं के जरिए पैसा कमा रहे हैं।

पत्नी की तरह साथ रहती है किराये की बीवी

थाईलैंड में आर्थिक तौर पर गरीब पृष्ठभूमि से जुड़ी महिलाएं परिवार का पेट पालने और पैसा कमाने के लिए विदेशी पर्यटकों के साथ किराये की बीवी की तरह रहने लगती हैं। पर्यटकों सभी प्रकार की घरेलू सेवाएं भी देती हैं। यह व्यवस्था औपचारिक विवाह से जुड़ी नहीं है, उक तरह से अस्थायी ठेके की तरह है। यह कुछ दिन से लेकर महीनों तक चल सकती है।

(प्रकाश कुमार पांडेय)

Exit mobile version