भारत पूरी दुनिया में अपने धार्मिक वातावरण के लिए मशहूर है. यहां पर कई मंदिर है जो अपने अनोखेपन के लिए भक्तों के बीच काफी प्रसिध्द है. कोई अपने बनावट के लिए प्रसिध्द है, तो कोई अपने पंरपराओं के लिए अपनी अलग पहचान रखता है. इन मंदिरों में बड़ी संख्या में देशी विदेशी सभी दर्शन करने जाते है और भगवान से प्रार्थना करते है. चलिए आज आपको पश्चिम बंगाल में मौजूद ऐसे ही एक अनोखे मंदिर के बारे में बताते है जहां भोग में भगवान को नूडल्स और चाउमीन चढ़ाया जाता है.इस मंदिर की एक और खास बात है कि यहां हिंदु श्रध्दालुओं के अलावा बड़ी संख्या में चीनी और बौध्द धर्म के श्रध्दालु दर्शन करने आते हैं.
मंदिर का इतिहास
कोलकाता के चाईना टाउन में मौजूद चाईनीज काली मंदिर का इतिहास बड़ा अनूठा है. इसे चीनी लोगों द्वारा बनवाया गया था. कहा जाता है कि बहुत समय पहले मंदिर की जगह पर पेड़ हुआ करता था. पेड़ के नीचे काले पत्थर मौजूद थे, जिसे मां काली के प्रतीक के रूप में पूजा जाने लगा. उस समय यहां पर कई चीनी लोग रहते है. एक दिन एक चीनी लड़के की तबीयत खराब हो गई, उसके मां बांप ने डॉक्टरों से इलाज करवाया , लेकिन वो इसके बाद भी वो ठीक नहीं हुआ. थक हारकर कुछ समय बाद उसके माता पिता ने माता से प्रार्थना की जिसके बाद लड़का पूरी ठीक हो गया. तभी से यह मंदिर चीनी लोगों के बीच आस्था का केंद्र बन गया. लड़के के मां बांप ने बेटे के ठीक हो जाने के बाद इसी जगह माता के मंदिर का निर्माण करवाया.
नूडल्स और चाउमीन का लगता है भोग
काली माता के इस मंदिर की खास बात है कि यहां माता को नूडल्स और चाऊमीन का भोग लगाया जाता है. साथ ही भक्तों को भी प्रसाद के रूप में चाइनीज फूड दिया जाता है. इस चाईनीज फूड में नूडल्स, फ्राइड राइस, चाऊमीन और मंचूरियन शामिल होता है. यह मंदिर चीनी लोगों की आस्था का केंद्र है. वे यहां आकर अपनी पूजा अर्चना करते है. आपको यहां मंदिर में कई चीनी पुजारी भी देंखनो को मिल जाएंगे.
पेपर को जलाने की है प्रथा
मंदिर के अंदर पेपर जलाने की एक अनोखी प्रथा है. जो भी भक्त मंदिर के अंदर आता है वो मंदिर परिसर में हाथ से बना पेपर जलाते हैं. मान्यता है कि पेपर को जलाने से जीवन में पॉजिटीविटी आती है और नेगेटिविटी दूर रहती है. अनोखी प्रथाएं और गजब के अनोखेपन के कारण यह मंदिर विश्वभर में चर्चित है.