दुनिया के सात अजूबों में से एक अजूबा ताजमहल। ताजमहल आगरा में बना है ये बात सभी जानते हैं लेकिन आज हम आपको वो कहानी बताते हैं जिसके कारण ताज महल आगरा में बनाया गया ।
कैसे हुई मुमताज की मौत
ताजमहल को शांहजहां ने अपनी तीसरी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था। मुमताज महल की मौत अपने चौदहवें के बच्चे के जन्म समय हुई थी।
जब मुमताज की मौत हुई वो बुरहानपुर में थी। मध्यप्रदेश का बुरहानपुर जिला ताप्ती नदी के किनारे बसा है। इस जिले को मुगल दकक्न का दरवाजा कहते थे क्योंकि यही पर डेरा डालकर मुगलों ने दक्षिण भारत तक राज करने के मंसूबे बनाए थे। यहां से मराठा और मुगलों का युद्द शुरू हुआ। इस इलाके को अकबर ने जीता था। उसके बाद मुगलों ने यहां सेना के साथ डेरा डाला और मराठों पर आक्रमण की योजना बनाई थी।
कैसे आगरा में बना ताजमहल
शाहजहां मुमताज की याद में स्वर्ग की तरह सुंदर इमारत बनवाना चाहते थे। उसके लिए शाहजहां को एक अच्छी जगह की तलाश थी। शाहजहां ने जगह की तलाश शुरू की। पहले तय हुआ कि ताजमहल को बुरहानपुर में बनाया जाएगा ताप्ती नदी के किनारे ।
लेकिन इसके लिए दो अड़चने सामने थे
- ताप्ती नदी की मिट्टी में दीमक थी जिसके चलते ताजमहल की नींव कमजोर पड़ जाती।
- मुमताज के मकबरे को स्वर्ग की तरह सुंदर दिखने के लिए उसे नदी किनारे सफेद संगमरमर से बनाया जाना तय हुआ था।
- उस समय राजस्थान से मार्बल लेकर बुरहानपुर तक लाना कठिन था।
- इसलिए ताजमहल के लिए आगरा को चुना गया।
- यहां राजा मानसिंह की जमीन पर ताजमहल बनकर तैयार हुआ।
- यह जगह युमना किनारे थे और यहां सफेद संगमरमर भी आसानी से लाया जा सकता था।
पहले आहूखाने में दफनाया था मुमताज को
मुमताज को पहले बुरहानपुर के आहूखाने में दफनाया गया था। ताजमहल बनने के बाद उनकी कब्र को बकायदा एक जुलूस की शक्ल में आगरा ले जाया गया और वहां उनको दफन किया गया। आहूखाना उस समय जैनाबाद में हुआ करता था। आहूखाना वो जगह थी जहां मुगल रानियां शिकार किया करती थी। इसी जौनाबाद में सबसे पहले मुमताज को दफनाया गया। छह महीने बाद इस कब्र को आगरा ले जाया गया।