बिहार में आनंद मोहन की रिहाई पर बना संशय!

रिहाई के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों

बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने अपने चहेते बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह की रिहाई के लिए जेल मैनुअल में संशोधन कर दिया। इसके बाद रिहा होने वाले कैदियों की सूची भी तैयार होने लगी। अब खबर आ रहा है कि सूची में आनंद मोहन सिंह का नाम है या नहीं इसको लेकर संदेह बताया जा रहा है।
आपको बता दें कि आनंद मोहन सिंह बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता है। उन पर एक आइएएस अधिकारी की हत्या का मामला दर्ज हुआ था। जिसके कारण उन्हे हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।बिहार सरकार ने हाल में जेल के मैन्युअल में बदलाव करते हुए उनकी रिहाई का रास्ता साफ कर दिया था। कहीं कोई आपत्ति न आए इसके पहले आनन फानन में रिहा होने वाले कैदियों को सूची भी तैयार करवा ली गई। हो सकता है इस मामले को लेकर गुरुवार या शुक्रवार को एक बैठक के बाद रिहाई के आदेश हो जाएं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह सहित करीब 62 कैदियों को रिहा करने की मोहर लग जाए। इसके बाद फाइल विधि विभाग को भेजी जाती है जब विभाग संतुष्ट हो जाता है तब कहीं जाकर प्रावधान के तहत कैदियों को रिहा होने के आदेश जारी होते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में करीब एक सप्ताह का समय लगता है।

रिहाई के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों

बाहुबली नेता की रिहाई को लेकर राजनीति भी गर्माने लगी है कई विपक्षी नेताओं का कहना है कि आनंद मोहन सिंह की रिहाई में इतनी जल्दबाजी सरकार क्यों कर रही है। ताबड़तोड़ अधिकारियों को निर्देश दिए जा रहे है और फाइलें भी बहुत तेजी से आगे बढ़ाई जा रही हैं।

नीतीश ने बदला नियम

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने में लगे हुए है। उनका मुख्य मुकाबला भाजपा से है। ऐसे में उन्हे बड़े बड़े दिग्गज नेताओं की जरूरत है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संभवत: इसी कड़ी में आनंद मोहन सिंह को जेल से बाहर निकालने के लिए जेल की नियमावली में संशोधन कर दिया गया। 10 अप्रैल को हुए संशोधन में नियमावली से उस खंड को हटा दिया गया है,जो शासकीय अफसर के मर्डर के केस में जेल काट रहे दोषी को अच्छे व्यवहार के बाद भी रिहाई से रोकता था। बिहार के गृह विभाग ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बिहार जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 (1) ए में संशोधन की जानकारी दी है।

 

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