भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे की राशि बढ़ाने की केंद्र सरकार की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर दी है। केन्द्र सरकार ने अपनी याचिका में गैस पीड़ितों को यूनियन कार्बाइड से करीब 7 हजार 800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की मांग की थी।
इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेके माहेश्वरी, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच में याचिका दायर की गई थी। जिसे लेकर बेंच ने कहा कि यदि केस फिर से खोला जाता है तो इससे मुश्किलें बढ़ेंगी।
बता दें केन्द्र सरकार ने साल अपनी 2010 में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी। जिस पर 12 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। वहीं सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि पीड़ितों को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन पर और अधिक मुआवजा देने के लिए बोझ नहीं डाल सकते। कोर्ट को इस बात निराशा हुई है कि इस मामले पर पहले ध्यान नहीं दिया गया।
गैस पीड़ितों को अब तक 6 गुना मुआवजा
अब तक गैस पीड़ितों को नुकसान की तुलना में लगभग 6 गुना ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका है। कोर्ट की ओर से कहा गया है कि केंद्र सरकार आरबीआई के पास रखे 50 करोड़ रुपये का उपयोग गैस पीड़ितों की जरूरत के हिसाब से कर सकती है। क्योंकि ये केस फिर से खोला जाता है तो इससे यूनियन कार्बाइड को ही फायदेमंद मिलेगा और पीड़ितों की परेशानियां बढ़ जाएंगी। बता दें केन्द्र सरकार की ओर से दिसंबर 2010 में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की गई थी। वहीं गैस हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की ओर से गैस पीड़ितों को करीब 470 मिलियन डॉलर का मुआवजा गया था। ऐसे में पीड़ितों ने अधिक मुआवजा देने की मांग करते हुए कोर्ट में अपील की थी। जिस पर केंद्र सरकार ने साल 1984 की गैस कांड पीड़ितों को डाउ केमिकल्स से 7 हजार 844 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा देने की मांग की गई।
गैस हादसे में गई 25 हजार से ज्यादा लोगों की जान
गैस हादसे में करीब 25 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी। यह दावा किया है गैस पीड़ित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने। उन्होंने बताया साल 1997 में मृत्यु के दावों के रजिस्ट्रेशन को रोक दिया था। इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट को बता रही है कि आपदा से केवल 5 हजार 295 लोगों की ही मौत हुई है। जबकि आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि साल 1997 के बाद से आपदा के चलते बीमारियों से हजारों लोग मरते रहे हैं। इस तरह गैस हादसे में मौतों का असली आंकड़ा 25 हजार से अधिक है।