सुप्रीम कोर्ट ने उनके लिए बदल दिया नियम,मिला बड़ा सम्मान

संविधान के अनुच्छेद 146 से जुड़ा है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने उनके लिए बदल दिया नियम,मिला बड़ा सम्मान
अंग्रेजो के जमाने में दिए गए एक पद नाम को देश के शीर्षस्थ न्यायालय ने बदल दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने संविधान के अनुच्छेद 146 में संशोधन करते हुए साफ सफाई करने वाले का नाम जमादार से बदलकर सुपरवाइजर कर दिया है। अब इस फैसले के बाद इन्हे जमादार नहीं कहा जाएगा बल्कि सुपरवाइजन या पर्यवेक्षक के नाम से जाने जाएंगे। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने उच्चतम न्यायालय के अफसर और सेवक (सेवा और आचरण की शर्तें) नियम 1961 को संविधान के अनुच्छेद 146 के तहत मिली शक्तियों का उपयोग इस्तेमाल करते हुए संशोधित किया है।इस के संबंध में 15 अप्रैल 23 को एक अधिसूचना जारी हुई थी। जिसमें कहा गया था कि अंग्रेजों के समय से जमादार शब्द का उपयोग कनिष्ठ कर्मचारियों के लिए किया जा रहा था। ये कार्यालय की साफ-सफाई का काम करते हैं।अब नियमों में हुए इस बदलाव से फर्श और सफाई वाला श्रेणी के पदों पर काम करने वालों के लिए लागू हो जाएगा।

संविधान के अनुच्छेद 146 से जुड़ा है मामला
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 146 उच्चतम न्यायालय के अफसर और सेवक के अलावा कोर्ट के खर्चों से जुड़ा हुआ है। अनुच्छेद 146 जिस तरह की शक्तियां दी गई हैं उसके तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश और न्यायालय के अन्य न्यायमूर्ति अथवा अफसर न्यायालय में होने वाली नियुक्तियों के संबंध में निर्णय ले सकते है। बस इतना ध्यान रखना होता है कि इससे किसी भी स्थिति में राष्ट्रपति के अधिकारों का उल्लंघन न होता हो ।

जगह की कमी होगी दूर
देश के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने एक बात और कही थी। उन्होंने कहा कि कोर्ट में जगह काफी कम पड़ती है इसके लिए नया एनेक्सी भवन बनवाकर इस दिक्कत को दूर किया जा सकता है। इस योजना पर काम चल रहा है लोक निर्माण विभाग इस नई बिल्डिंग को डिजाइन कर रहा है। इससे अधिवक्ताओं और वादियों को पर्याप्त स्थान मिल पाएगा।

वीसी से सुनवाई के लिए भी कहा
जिस तरह से देश में कोरोना संक्रमण फैल रहा है उसके मददेनजर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने एक और महत्वपूर्ण बात इसी माह में कही थी। उन्होंने कहा था कि कोरोना से बचाव के लिए जो भी अधिवक्ता है वे वीडियो कान्फेंसिग से मामले की सुनवाई करवा सकते हैं यदि उन्हे लगता है तो बिना कोर्ट आए भी सुनवाई हो सकती है।सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला एक मामले की सुनवाई के दौरान उपरोक्त बात कही थी। उन्होंने यहां तक कह दिया कि हाईब्रिड मोड से पेश होने की अनुमति दी जा सकती है।

Exit mobile version