Subhash Chandra Bose:गुमनामी बाबा के बक्सों ने खोला नेताजी की मौत का रहस्य

गुमनामी बाबा का रहस्य

नेता जी की जयंती पर उनको याद करते समय उनकी मौत के रहस्य पर जरूर बात होती है।  नेताजी को लेकर कहा जाता है कि वो आजाद भारत में लंबे समय तक जिंदा रहे वो भी गुमनामी में. उनको लोगों के बीच गुमनामी बाबा बोला जाता था। कई लोगों को मानना था कि वहीं नेता जी हैं तो कुछ लोग मानते हैं कि भले वो नेताजी नहीं लेकिन उनका नेताजी के साथ कोई गहरा नाता था.
गुमनामी बाबा की मौत के सालों बाद उनके पास से जब्त किए 25 बक्सों को खोला गया। गुमनामी बाबा जीते जी किसी के सामने नहीं आए लेकिन फैजाबाद की ट्रेजरी में रखे बक्सों को खोला गया तो सभी चौंक गए।

सूत्रों की माने तो गुमनामी बाबा के बक्सों में जर्मनी दूरबीन, रोलेक्स घड़ी ,नेता जी के हाथ की लिखी चिट्ठियां चश्में का गोल फ्रेम, कई अखबारों की कटिंग इनमें बंगाली अखबारो की कटिंग भी थी। इसके अलावा जापानी क्राकारी भी मिली।

गरूरू गोविलकर का दिंसबर 1972 का भी एक खत मिला। ये खत किस बारे में था कोई नहीं जानता। कुल मिलाकर गुमनामी बाबा गुमनाम जीवन जी रहे थे तो उनको उस समय के संघ प्रमुख गुरू गोविलकर ने खत क्यों लिखा। गुमनामी बाबा के पास से नेता जी के परिवार की भी कई फोटो मिलीं। जिस जगह गुमनामी बाबा रहा करते थे। वहां के लोगों का कहना है कि 23 जनवरी को भी उनसे मिलने लोग आया करते थे। बहराहल बक्सों से मिली चीजों से इतना तो तय है कि गुमनामी बाबा भले नेता जी न हो लेकिन उऩका नेता जी के साथ गहरा नाता था।

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