श्रावण का पवित्र महीना शुरू हो गया है.यह माह भगवान शंकर का सबसे प्रिय महीना है. इस माह में भगवान शंकर की पूजा करने के लिए मंदिरो में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी, खासकर ज्योर्तिलिंग में भक्तों का बड़ी संख्या में तांता लगेगा. हिंदु धर्म में ज्योतिर्लिंगों की पूजा करने का खास महत्व बताया गया है. इन्हीं में से एक शिवलिंग है उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग. बाबा महाकाल की ख्याति दूर दूर से फैली हुई है. यहां रोजाना लाखों लोग दर्शन करने पहुंचते है. महाकाल कॉरिडोर बनने के बाद से तो यहां बहुत भीड़ उमड़ने लगी है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग बाकी ज्योतिर्लिंगों में से सबसे खास है. ऐसा हम क्यों बोल रहे है , चलिए आपको बताते हैं.
क्यों खास है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ?
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग देश का इकलौता शिवलिंग है जो दक्षिणमुखी है. यहां रोजाना सुबह 4 बजे भस्म आरती की जाती है. इस भस्म आरती को देखने रोजाना हजारों भक्त मंदिर पहुंचते है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और उज्जैन से जुड़ी कुछ रोचक बाते भी है जिनके अनुसार महाकाल को उज्जैन के राजा भी उपाधि प्राप्त है. इसी वजह से आज भी यहां कोई मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री रात नहीं रूकते है.
क्यों प्रसिध्द है उज्जैन ?
उज्जैन को पौराणिक काल में अवंती नाम से जाना जाता था. इसे प्राचीनकाल से ही धार्मिक नगरी की उपाधि प्राप्त है. आज भी रोजाना यहां लाखों भक्त बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचते हैं. खासकर भगवान शंकर की भस्म आरती देखना हर शिवभक्त का सपना होता है. कहा जाता है कि जो इस आरती में शामिल होता है , उसके सारे कष्ट दूर हो जाते है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में खासकर वे लोग पहुंचते है जिन्हें आकाल मृत्यु का डर सताता है. महाकाल से जुड़ा मंत्र बड़ा प्रसिध्द है जिसके अनुसार काल भी उस व्यक्ति का कुछ नहीं कर पाता है जो महाकाल का भक्त होता है.
ज्योतिर्लिंग से जुड़ी है पौराणिक कथा
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. इस कथा के अनुसार पौराणिक काल में अवंती नाम की एक सुंदर नगरी हुआ करती थी. यह नगरी भगवान शंकर को बेहद प्रिय थी. इसी नगरी में एक वेद प्रिय नाम का ब्राहाण रहता था जो बहुत ही बुद्धिमान और शिव भक्त था. वे भगवान की पूजा करने के लिए रोज पार्थिव शिवलिंग बनाता था. इसी काल में रत्नमाल पर्वत पर दूषण नाम का राक्षस रहता था जिसे ब्रहाजी से वरदान मिला था. इसी वरदान के बल पर यह राक्षस धार्मिक व्यक्तियों पर आक्रमण करता है.
दूषण नाम के राक्षस ने अवंती के इस ब्राहम्ण पर भी आक्रमण करने का विचार कर लिया . इसने शहर के ब्राहाणों को परेशान करना शुरू कर दिया. दूषण की हरकतों से परेशान होकर ब्राहाणों ने शिव शंकर से रक्षा के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया. भोलेनाथ ने राक्षस को कई बार नगरवासियों को परेशान न करने की चेतावनी दी लेकिन दूषण राक्षस माना नहीं और शहर पर हमला कर दिया. इतनी चेतावनियों के बाद भी अवंती पर दूषण के आक्रमण से भोलेनाथ के क्रोध का ठिकाना नहीं रहा . भगवान शंकर धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने अपनी हुंकार से राक्षस को भस्म कर दिया. भगवान का क्रोध शांत होने के बाद ब्राहाणों ने उनसे यही विराजमान होने की प्रार्थना की, जिसे भगवान ने स्वीकार कर लिया. उसी काल से उज्जैन में शिव जी उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करने लगे.