Sonia Gandhi Birthday:कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए की मुखिया सोनिया गांधी 9 दिसंबर को 76 साल की हो गई हैं। सोनिया गांधी अपना जन्मदिन राजस्थान के रणथंभौर में बेटे राहुल और बेटी प्रियंका के साथ मना रहीं हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत अन्य नेताओं ने जन्मदिन की शुभकामनाएं दी है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर उनके लंबे जीवन और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की है।
बता दें सोनिया गांधी का जन्मदिन मनाने के लिए गांधी परिवार रणथम्भौर रोड स्थित होटल शेर बाग में रुके हुए हैं। गांधी परिवार हमेशा से इसी होटल में रुकते आए हैं। गांधी परिवार की मौजूदगी के चलते पुलिस ने रामसिंहपुरा गांव से लेकर होटल तक जाने वाले कच्चे मार्ग को भी सुरक्षा के घेरे में ले लिया गया। खास बात यह है कि इस रास्ते पर इस होटल के अलावा तीन अन्य होटल भी बनी हुई है। इन सभी होटलों में जाने वाले पर्यटक ओर वाहनों को भी पूछताछ और जांच के बाद जाने दिया। बता दें कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार शाम को रणथंभौर भ्रमण किया। सोनिया गांधी को दो स्थानों पर एक नर व एक मादा बाघ देखने को मिले। सोनिया गांधी लगभग 2 घंटे तक रणथम्भौर के जंगल में रही और वन्यजीवों की अठखेलियां देखीं। सोनिया गांधी पहले जोगी महल पहुंची और कुछ देर वहां रुकीं।
राजीव के साथ 1985 में आईं थी रणथम्भौर
सोनिया गांधी अपने पति राजीव गांधी के साथ दिसंबर 1985 में भी रणथम्भौर आई थीं और सात दिन तक अमिताभ बच्चन व राजीव गांधी का परिवार रणथंभौर के जंगल में स्थित जोगी महल पर रहे थे। गुरुवार को 37 साल बाद एक बार फिर दिसम्बर माह के सर्दी के मौसम में सोनिया गांधी ठीक उसी जगह पहुंची और अपनी पुरानी यादों को ताजा किया। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणाम में गुजरात में पार्टी को काफी नुकसान हुआ है तो हिमाचल प्रदेश में स्पष्ट बहुमत मिला है। ऐसे में रणथम्भौर में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा हो सकती है।
रणथम्भौर में सुलझाएंगी गहलोत पायल के बीच विवाद
रणथम्भौर में राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के आपसी विवाद को सुलझाने पर भी विचार किया जा सकता है। रणथम्भौर में सोनिया गांधीए राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा की एक साथ मौजूदगी के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। इस दौरान कांग्रेस व गांधी परिवार के निर्णय में अहम ।
विदेशी बहू ने जीत लिया था इंदिरा जी का दिल
सोनिया गांधी का हिंदुस्तान से कोई नाता नहीं था। इटली में एक ईसाई परिवार में जन्मी एंटोनिया एडविजे अल्बिना मेनो के जीवन में जब राजीव गांधी की एंट्री हुई तो एक झटके में उनकी पूरी पहचान बदल गई। जिसमें नामए धर्मए संस्कृति और देश तक शामिल है। राजीव गांधी से विवाद के बाद वह सोनिया गांधी बन गईं। उन्हें शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि उनके इस फैसले ने उन्हें भारत के सबसे बड़े और ताकतवर राजनीतिक परिवार का सदस्य बना दिया। सोनिया जब भारत आईं तो उस समय इंदिरा गांधी की भारतीय राजनीति में उनकी तूती बोलती थी। विदेशी बहू ने जल्द इंदिरा को रिझा लिया और उनकी प्रिय बन गईं। पेशे से पायलट पति राजीव गांधी के साथ वह विदेश में बसने का सोच ही रही थीं कि तभी संजय गांधी की मौत हो गई। सोनिया के ना चाहने के बावजूद राजीव गांधी को सक्रिय राजनीति में उतरना पड़ा। कुछ समय बाद सास इंदिरा गांधी की भी हत्या हो गई। अब राजीव गांधी के पास सरकार और पार्टी की बागडोर संभालने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
कभी राजनीति में उतरने के खिलाफ थी सोनिया
सोनिया गांधी राजनीति में उतरने के हमेशा खिलाफ रहीं। साल 1991 में तब बड़ा झटका लगा जब उनके पति राजीव गांधी तमिलनाडु में एक चुनाव प्रचार के दौरान आत्मघाती बम धमाके में मारे गए। इस घटना ने उनके दिल में राजनीति के लिए नफरत पैदा कर दी। उस दौरान उन्होंने परिवार के साथ राजनीति से दूर रहने का फैसला लिया। 1991 के चुनाव में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में दिलचस्पी लेने से इनकार कर दिया और प्रधानमंत्री की कुर्सी रिटायरमेंट मोड पर जा चुके पीवी नरसिंहराव को मिली। इस बीच कांग्रेसियों ने सोनिया गांधी से एक्टिव राजनीति में आने के लिए खूब मनुहार किया।