लोकसभा चुनाव का छठा चरण, यूपी की इन सीटों पर बाहुबली राजाभैया और धनंजय सिंह के रुतबे और खनक की परीक्षा…!

Sixth phase of Lok Sabha elections will test the status of UP strongman Raja Bhaiya Dhananjay Singh

लोकसभा का चुनाव की यात्रा छठे चरण तक पहुंच चुकी है। छठे चरण में 25 मई को आठ राज्यों की 57 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी। इस 6वें चरण में यूपी की 14 सीटों पर भी मतदान होगा। यूपी की जिन 14 सीटों पर वोटिंग होगी वहां मुकाबला इस बार बड़ा ही कंफ्यूज नजर आ रहा है। दरअसल आधा लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां सियासी विश्लेषक भी समझ नहीं पाए हैं कि किस जाति का वोट किस पार्टी को जाएगा।

यूपी के छठे चरण में प्रतापगढ़, इलाहाबाद, सुल्तानपुर, श्रावस्ती, अंबेडकरनगर, फूलपुर, बस्ती, डुमरियागंज, संतकबीर नगर, जौनपुर, लालगंज, भदोही, मछली शहर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर वोटिंग होगी। इस चरण में बाहूबली राजा भैया और धनंजय सिंह के खनक और रुतबे की भी परीक्षा होगी। साथ ही बीजेपी और समाजवादी पार्टी की रणनीति को भी इस चरण में अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव का पीडीएफ फार्मूले के साथ ही बीजेपी की जातिगत आधारित चुनावी रणनीति और उसकी सहयोगी पार्टियों का सहयोग कितना काम करेगा यह भी इस चरण में पता चल जाएगा। इसके अतिरिक्त छठे चरण में बीजेपी के नेता जगदंबिका, मेनका गांधी, कृपा शंकरसिंह, दिनेश लाल निरहुआ की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।

जौनपुर-मछलीशहर: बीजेपी के लिए कांटे का मुकाबला

धनंजय सिंह की बात करें तो उत्तर प्रदेश की मछली शहर और जौनपुर का चुनाव बीजेपी के लिए फंसा हुआ नजर आ रहा है। यह क्षेत्र माफिया टर्न पॉलिटिक्स माने जाने वाले धनंजय सिंह का इलाका माना जाता है। इस इलाके में जहां राजपूत ही नहीं दूसरी जातियों के वोट भी धनंजय सिंह के इशारे पर डालते हैं। हालांकि पिछले 2019 के चुनाव में खुद धनंजन को हार का सामना करना पड़ा था लेकिन उन्हें उनके समर्थक राजपूत और दूसरी जातियों के वोट हर हाल में मिलते रहे हैं। यही वजह है कि जौनपुर के साथ मछलीशहर लोकसभा सीट अगर बीजेपी को जितना है तो उसमें धनंजय सिंह की बड़ी भूमिका हो सकती है। वहीं अगर बीजेपी को यहां से हार का सामना करना पड़ा तो यह माना जाएगा कि धनंजय सिंह का जादू अब खत्म हो चुका है।

NDA और I.N.D.I.A गठबंधन के बीच टक्कर

जौनपुर लोकसभा सीट पर इंडिया और एनडीए गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है। एनडीए के लिए बीजेपी ने पूर्व मंत्री कृपा शंकर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है तो इंडिया गठबंधन की ओर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा चुनाव मैदान में उतरे हैं। जौनपुर लोकसभा सीट से बीएसपी ने पहले धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को टिकट देकर मैदान में उतारा था। लेकिन बाद में बीएसपी ने उनका टिकट काट दिया। अब धनंजय सिंह बीजेपी के पाले में हैं और वे बीजेपी के लिए खुलकर बैटिंग करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि जौनपुर और मछलीशहर लोकसभा सीट बीजेपी अपने खाते में डालने में कितनी सफल होती है। क्योंकि मछलीशहर की बात करें तो यहां भाजपा ने मौजूदा सांसद बीपी सरोज को चुनाव मैदान में उतारा है।

पिछली बार 101 वोट से जीते बीपी सरोज की क्या पूरी होगी हैट्रिक

बीपी सरोज दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं और इस बार उनके सामने हैट्रिक बनाने का मौका है। बीपी सरोज 2019 के आम चुनाव में महज 101 वोट से जीत हासिल करने में सफल रहे थे। वहीं समाजवादी पार्टी ने तीन बार सांसद रहे तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है इससे जाहिर है कि भाजपा के लिए मछली शहर लोकसभा सीट का चुनाव आसान नहीं है और यहां धनंजय सिंह की प्रतिष्ठा भी दाव पर लगी है

राजा भैया की नाराजगी कितनी पड़ेगी भारी

राजा भैया की बात करें तो वह बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचाते हैं। इस पर सियासी चर्च जा रही है। छठे चरण के चुनाव आने तक भाजपा के लिए बुरी खबर यह है कि जनसत्ता दल अध्यक्ष और कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया इस समय उससे नाराज हैं। हालांकि उन्होंने कहा है कि वे किसी भी पार्टी के साथ नहीं रहेंगे लेकिन जिस तरह से उन्होंने यूपी में एंटीइनकमबेंसी की बात कही है और जिस तरह से केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उनको लेकर बयानबाजी की है उसे साफ जाहिर है कि राजाभैया का साथ बीजेपी को मिलना थोड़ा मुश्किल है। फिलहाल इस चरण की चार लोकसभा सीट श्रावस्ती, प्रतापगढ़, भदोही और इलाहाबाद में राजा भैया का अच्छा खासा प्रभाव है। इन लोकसभा सीटों पर उनके इशारे पर कई हजार मतदाता एक लाइन में खड़े हो जाते हैं। ऐसे में चुनाव का परिणाम भी बतायेगा कि राजा भैया का जादू इस बार कितना चला।

वहीं छठे चरण में उत्तर प्रदेश की कई ऐसी सीट है जिन पर पिछड़ी जातियों का वोट प्रभावित है। अल्पसंख्यक यादव और ओबीसी जातियों का वोट प्रतिशत सबसे अधिक है। ऐसे में अखिलेश यादव के पीडीएफ फार्मूले की भी इस छठे चरण में अग्निपरीक्षा होगी। छठे चरण में यह भी देखना होगा कि अखिलेश यादव का मुस्लिम समीकरण कितना काम करता है। प्रतापगढ़, इलाहाबाद, सुल्तानपुर, फूलपुर, श्रावस्ती, अंबेडकर नगर, डुमरियागंज, बस्ती, प्रतापगढ़, संतकबीर नगर, लालगंज, मछलीशहर, भदोही, जौनपुर, लालगंज और आजमगढ़ इन सीटों पर पिछड़ी जातियों की चुनाव में अहम भूमिका है। यही वजह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के पीडीएफ फार्मूले को इस चरण में अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा। आजमगढ़ से बीजेपी की ओर से चुनाव प्रचार में उतरे भोजपुरी फिल्मों के स्टार निरहुआ और अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के बीच कांटे की टक्कर है। आजमगढ़ लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है। हालांकि पिछले यूपी चुनाव में दिनेश लाल निरहुआ ने इस सीट को भाजपा के लिए जीतकर समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका दिया था।

दांव पर बीजेपी की सहयोगी पार्टियों की प्रतिष्ठा और भविष्य

लोकसभा चुनाव के छठे चरण में यूपी की जिन 14 सीटों पर मतदान होने वाला है। उनमें भाजपा की सहयोगी पार्टियों की प्रतिष्ठा प्रतिष्ठा भी दांव पर है। बीजेपी का सहयोग कर रही सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल के मुखिया अपनी-अपनी जाति के वोट को भाजपा के लिए दिलाने में कितना सफल होते हैं। यह साफ हो जाएगा। क्योंकि यह दल के मुखिया बीजेपी को अपनी जाति के वोट दिलाने के नाम पर ही पिछले कई दिनों से सत्ता का सुख भोगते नजर आ रहे हैं। चाहे वे सुभासपा के ओपी राजभर हो या निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद। यह दोनों उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं तो वहीं अपना दल की मुखिया अनुप्रिया पटेल केंद्रीय मंत्री हैं। उनके पति आशीष पटेल यूपी की योगी सरकार में मंत्री पद का जिम्मा संभाल रहे हैं। इलाहाबाद से लेकर गोरखपुर तक राजभर, निषाद और पटेल जातियों का दबदबा माना जाता है। यह जातियां चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। ऐसे में बीजेपी की मेनका गांधी जो सुल्तानपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरी हैं। उनकी हार जीत पटेल और निषाद मतदाताओं पर पर निर्भर है।

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