सितरंग का सितम, बांग्लादेश में 35 की मौत
भारत में 83 गांवों के 1100 से ज्यादा लोग प्रभावित
चक्रवाती तूफान सितरंग ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में दस्तक देने के साथ ही कोहराम मचा दिया। खतरनाक साइक्लोन से बांग्लादेश में अब तक करीब 35 लोगों की मौत हो चुकी है। कई जगह भारी तबाही का मंजर नजर आ रहा है। हजारों घरों को इस तूफान ने अपनी चपेट में ले लिया। अब इस चक्रवाती तूफान ने भारत में दस्तक दी है। जिससे पश्चिम बंगाल और ओडिशा में तेज बारिश हो रही है। वहीं असम के 80 से ज्यादा गांव तूफान और बारिश से प्रभावित हैं। मौसम विभाग की माने तो चार उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए रेड अलर्ट जारी किया इसके साथ ही बचाव दल की टीम पूरी तरह से मुस्तेद हैं। असम में चक्रवात सितरंग के चलते स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। यहां चक्रवात के कारण करीब 83 गांवों के 1100 से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। चक्रवात के चलते हुई भारी बारिश में बड़ी तादाद में घरों को नुकसान पहुंचा है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक तूफान से अब तक 1146 लोग प्रभावित हुए हैं।
सैकड़ों बीघा फसल हुई बर्बाद
चक्रवात के चलते असम में करीब 325 से 501 हेक्टेयर फसलों को नुकसान पहुंचा है। सोमवार रात आए चक्रवाती तूफान के कारण राज्य के नगांव जिले के विभिन्न हिस्सों में कई पेड़ और बिजली के खंभे भी उखड़ गए। तूफान के कारण मध्य असम जिले के कलियाबोर, बामुनि, सकमुथिया चाय बागान और बोरलीगांव क्षेत्रों में कई घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
भारत में जनहानि नहीं
चक्रवात के चलते भारी तबाही के बीच राहत की खबर यह है कि भारत में अभी तक किसी जनहानि की सूचना नहीं मिली हे। प्रभावित गांव के मुखिया के मुताबिक क्षेत्र में अभी तक तूफान से किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। उन्होंने बताया कि कलियाबोर क्षेत्र में तूफान से कई घर क्षतिग्रस्त हो गए और कई पेड़ उखड़ गए। एक सरकारी ग्राम प्रधान के रूप में उन्होंने पूरे गांव का दौरा किया है।
बांग्लादेश में तबाही का मंजर
बांग्लादेश की बात करें तो वहां सितरंग ने अपना भयानक रंग दिखाते हुए सामने आने वाली हर चीज को तहस नहस कर दिया। करीब 10 हजार से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं 6 हजार हेक्टेयर से ज्यादा की फसल तबाह हो गई। हजारों फिशिंग प्रोजेक्ट बर्बाद बर्बाद हो गए और 35 लोगों की जान चली गई। ये खतरनाक तूफान बंगाल की खाड़ी से उठा और बांग्लादेश के तट से टकराया। जिसके बाद तेज बारिश और तूफान का कहर हर तरफ दिखाई दे रहा था। फिलहाल 20 हजार से ज्यादा बांग्लादेशियों पर अब भी इस सितरंग तूफान का खतरा मंडरा रहा है। यहां के दक्षिण और दक्षिण पश्चिमी इलाकों में सबसे बुरा हाल है। बरगुना, नरेल, सिराजगंज और भोल जिले में लोगों के मारे जाने की खबर आई।
जाने क्या होते हैं चक्रवात ?
चक्रवात को अंग्रेजी में साइक्लोन कहा गया है। ये शब्द ग्रीक भाषा के साइक्लोस से जुड़ा है। इसका अर्थ सांप की कुंडलियां है। दरअसल इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवाती तूफान कुंडली मारे सांपों की तरह दिखाई देते हैं। ये एक गोलाकार तूफान यानी सर्कुलर स्टॉर्म होते हैं जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं। जब ये चक्रवात जमीन पर पहुंचते हैं तो अपने साथ भारी बारिश और तेज हवाएं लेकर आते हैं। ये हवाएं उनके रास्ते में आने वाली हर चीज चाहे वो पेड़ों हो या गाड़ी और कई बार तो घरों को भी तबाह कर देती हैं।
जाने कैसे आजा है चक्रवात तूफान ?
चक्रवात समुद्र के गर्म पानी के ऊपर बनते हैं। दरअसल समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम हवा होने की वजह से ऊपर उठती हैं। इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर यानी वायु दाब कम हो जाता है। इस खाली जगह को भरने के लिए आसपास की ठंडी हवा वहां पहुंचती है। इसके बाद ये नई हवा भी गर्म और नम होकर ऊपर उठती है। इसका एक साइकिल शुरू हो जाता है। जिससे बादल बनने लगते हैं। पानी के भाप में बदलने से और भी बादल बनने लगते हैं। इससे एक स्टोर्म साइकिल यानी तूफान चक्र बन जाता है। यह धरती के घूमने के साथ ही घूमते रहते हैं। स्टॉर्म सिस्टम के तेजी से घूमने की वजह से उसके सेंटर में एक आई बनता है। तूफान के आई को उसका सबसे शांत इलाका माना जाता है। जहां एयर प्रेशर सबसे कम होता है। ये स्टॉर्म सिस्टम हवा की स्पीड 62 किमी प्रति घंटे होने तक ट्रोपिकल स्टॉर्म कहलाते हैं। हवा की रफ्तार 120 किमी प्रतिघंटे पहुंचने पर ये स्टॉर्म साइक्लोन बन जाते हैं। साइक्लोन आमतौर पर ठंडे इलाकों में नहीं बनते है। क्योंकि इन्हें बनने के लिए गर्म समुद्री पानी की जरूरत होती है। लगभग हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25 से 26 डिग्री के आसपान होना जरूरी होता है। इसीलिए चक्रवात को ट्रोपिकल चक्रवात भी कहा जाता है। ट्रॉपिकल इलाके आमतौर गर्म होते हैं। जहां साल भर औसत तापमान 18 डिग्री से कम नहीं रहता।
131 साल में बंगाल की खाड़ी में 61, अरब सागर में 32 तुफान
मौसम वैज्ञानिकों की माने तो दक्षिण पश्चिम मानसून के जाने के बाद समुद्र का तापमान बढ़ जाता है। जिससे बंगाल की खाड़ी में समुद्र के सरफेस का तापमान बढ़ता है। उस समय समुद्री इलाके में नमी की भी अधिकता रहती है। ऐसे में जब साउथ चाइना सी से हवाएं बंगाल की खाड़ी में पहुंचती हैं तो इन हवाओं को मौका मिल जाता है। जिससे वे चक्रवात में बदल जाती है। पिछले 131 सालों मेंए अक्टूबर महीने में बंगाल की खाड़ी में 61 तो अरब सागर में 32 चक्रवाती तूफान आए हैं। जिससे कहा जा सकता है कि मई और जून के बाद अक्टूबर नवंबर के महीनों में ज्यादा चक्रवात तूफान दिखते हैं।