ज्येष्ठ के महीने में संकष्टि चतुर्थी के व्रत का होता है खास महत्व, जानें पूजा करने की विधि और शुभ मुहुर्त

ज्येष्ठ के महीने में संकष्टि चतुर्थी के व्रत का होता है खास महत्व, जानें पूजा करने की विधि और शुभ मुहुर्त

 

हिंदु धर्म में भगवान गणेश को सभी देवताओं में सबसे पहले पूजा जाता है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगल कार्य करने के पहले भगवान श्री गणेश की पूजा करने से कार्य में सफलता मिलती है. आज यानि 8 मई को हम ज्ञान के देवता भगवान श्री गणेश की संकष्टि चतुर्थी मनाने जा रहे है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. कई लोग अपने विघ्नों को दूर करने के लिए और मनचाहा फल पाने के लिए इस चतुर्थी पर व्रत भी रखते है. संकष्टि चतुर्थी के विषय में तो आपको बता दिया , चलिए अब आपको चतुर्थी पर पूजा करने का शुभ मुहुर्त और विधि बताते हैं.

कब बनाई जाती है संकष्टि चतुर्थी ?
संकष्टि चतुर्थी हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. इस बार चतुर्थी की शुरूआत 8 मई 2023 को शाम 6.18 से होगी जो अगले दिन शाम 4:08 पर खत्म होगी. संकष्टि चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम में भी जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है. इस बार यह व्रत 8 मई को पड़ेगा.

पूजा करने का शुभ मुहुर्त –
संकष्टि चतुर्थी के दिन पूजा करने का शुभ मुहुर्त अभिजीत मुहुर्त माना जाता है. आप इस दिन सुबह 11:51 से दोपहर 12:45 तक भगवान गणेश की पूजा कर सकते है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूजा करने से व्रत का फल मिलता और आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.
व्रत करने वाले इंसान पर भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है.

पूजा करने की विधि –

संकष्टि चतुर्थी के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें.
भगवान गणेश की पूजा अभिजीत मुहुर्त में करें और व्रत का संकल्प करें.
पूजा करते समय भगवान गणेश की प्रतिमा को लकड़ी के पटिए पर रखें और हल्दी का तिलक लगाएं
भगवान गणेश की प्रतिमा के अगल बगल में दूर्वा, फूल माला, लड्डू और फल अर्पित करें.
अब भगवान गणेश के समक्ष दीपक लगाएं और पूजा करने के बाद उन्हें मोती चूर के लड्डू का भोग लगाएं.

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