पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी को भारतीय राजनीति में एक ऐसे शख्सियत के तौर पर जाना जाता है जो भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं। जिन्होंने भारत में परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत की। हरित क्रांति की शुरुआत की। देश में आपातकाल लगाया। बांग्लादेश के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभायी तो ऑपरेशन ब्लू स्टार के आदेश दिए। 19 नवंबर 1917 को जन्मीं इंदिरा गांधी 31 अक्टूबर 1984 में अपने ही अंगरक्षकों की गोली का शिकार हो गईं।
इंदिराजी को लोहिया ने कहा था गूंगी गुड़िया
बाल्यावस्था से ही इंदिरा गांधी काफी कम बोलती थी। उनकी इस आदत से उनके पिता और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवहार लाल नेहरू भी काफी चिंतित रहते थे। राजनीति में प्रवेश के बाद भी इंदिरा जी का कम बोलने का स्वभाव कायम रहा। कांग्रेस अधिवेशन में भी वह शांत रहती थीं। बाद में जब वह सत्ता में आईं तो विपक्ष ने उन्हें गूंगी गुड़िया या कहना शुरू कर दिया। पहली बार समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने इंदिरा को गूंगी गुड़िया ने नाम से संबोधित किया था। 1966 में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद में आकस्मिक निधन के बाद कांग्रेस के रूढ़िवादी धड़े के उम्मीदवार मोरारजी देसाई को हराकर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं। पार्टी और सत्ता की बागडोर इंदिरा जी के हाथ में थी। इसके बाद देश में हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस को आठ राज्यों में चुनाव हार का सामना करना पड़ा। संसद में भी संख्या बल घट गया। जिससे डॉक्टर राम मनोहर लोहिया को उन पर कटाक्ष करने का मौका मिला था। उन्होंने उसी दौरान इंदिरा को गूंगी गुडिया कहा था।
वाजपेयी जी ने दिया था दुर्गा का नाम
साल 1970 के दशक में राजनीति काफी उथल.पथल के दौर से गुजर रही थी। केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी। विपक्ष में जनता पार्टी थी। तब अटल बिहारी वाजपेयी सदन में विपक्ष के नेता था। 1971 में पाकिस्तान ने देश पर आक्रमण किया और भारत को अनायास एक युद्ध को झेलना पड़ा। ये वो दौर था। जब पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान सेना यहां के लोगों का दमन कर रही थी। पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह याहया खान ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जनभावनाओं को सैनिक ताकत से कुचलने का आदेश दिया था। इस दमन से बचने के लिए पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थी भारत आने लगे। पाकिस्तान की नापाक हरकतें बढ़ती जा रही थीं। 3 दिसंबर 1971 को इंदिरा कोलकाता में एक जनसभा कर रहीं थी। उसी दिन शाम को पाकिस्तानी वायु सेना ने भारत पर बमबारी शुरू कर दी। देश के पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर और आगरा के सैनिक हवाई अड्डों को निशाना बनाया गया। उसी वक्त इंदिरा ने ठान लिया कि पाकिस्तान को सबक सिखाना है। युद्ध में पाकिस्तान पराजित ही नहीं हुआ वरन उसके दो टुकड़े हो गए थे।। ऐसे में बांग्लादेश अस्तित्व में आया। इतना ही नहीं पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया। युद्ध के परिणामों ने इंदिरा गांधी की ख्याति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल गई। उनका एक नया चेहरा सामने आया। देश ने उनके नेतृत्व का लोहा माना। इंदिरा गांधी अपनी गूंगी गुड़िया की छवि से मुक्त हुईं तो विपक्ष उन्हें आयरन लेडी और दुर्गा के नाम से संबोधित करने लगा। इसी बीच अटल जी ने एक बहस के दौरान इंदिरा जी को दुर्गा का अवतार कहा था।
इंदिरा जी ने कराया था पहला पोखरण परीक्षण
शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने भारत का साथ नहीं दिया उसका पूरा झुकाव पाक की ओर था। ऐसे में भारत की गुटनिरपेक्ष नीति पर सवाल खड़े हो रहे थे तो देश की सुरक्षा को लेकर विपक्ष ने अपने सुर तेज कर दिए थे। ऐसे में शक्ति संतुलन के लिए भारत को परमाणु क्षमता हासिल करना बेहद जरूरी हो गया था। सभी तरह के विरोध ढेलने के बाद भी इंदिरा जी ने 18 मई 1974 को पोखरण में परमाणु परीक्षण करवाकर पूरी दुनिया को अपनी और भारत की ताकत की धमक दिखाई। बता दें इंदिरा जी को उनका गांधी उपनाम फिरोज गांधी से विवाह के बाद मिला था। हालांकि मोहनदास करमचंद गांधी से उनका कोइ्र खून का रिष्ता नहीं था। इंदिरा जी ने अपने किशोरावस्था में आजादी आंदोलन में मदद हेतु वानर सेना का निर्माण किया था। वे अंग्रेजों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के अलावा कांग्रेस के नेताओं की मदद किया करती थीं। 1930 दशक के अन्तिम चरण में ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय, इंग्लैंड के सोमरविलले कालेज में अपनी पढ़ाई के दौरान वे लन्दन में आधारित स्वतंत्रता के प्रति कट्टर समर्थक भारतीय लीग की सदस्य बनीं। इंदिरा ने साल 1975 में देश के भीतर इमरजेंसी लगाई थी। उसे साल 1977 में हटाया और वह आम चुनाव में पराजित रहीं। उन्होंने पंजाब में जारी अलगाववादी मुहिम से निपटने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार का आदेश दिया। परिणामस्वरूप सेना अलगाववादियों से भिड़ने के क्रम में स्वर्ण मंदिर में दाखिल हुई। भारी खूनखराबा हुआ। इससे नाखुश होकर उनके सिख अंगरक्षकों ने उनकी साल 1984 में ही हत्या कर दी।
बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार
उन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां प्राप्त की। उन्हें 1972 में भारत रत्न पुरस्कारए 1972 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार, 1973 में एफएओ का दूसरा वार्षिक पदक और 1976 में नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा साहित्य वाचस्पति हिन्दी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1953 में श्रीमती गाँधी को अमरीका ने मदर पुरस्कार, कूटनीति में उत्कृष्ट कार्य के लिए इटली ने इसाबेला डी एस्टे पुरस्कार और येल विश्वविद्यालय ने होलैंड मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया। फ्रांस जनमत संस्थान के सर्वेक्षण के अनुसार वह 1967 और 1968 में फ्रांस की सबसे लोकप्रिय महिला थी। 1971 में अमेरिका के विशेष गैलप जनमत सर्वेक्षण के अनुसार वह दुनिया की सबसे लोकप्रिय महिला थी। पशुओं के संरक्षण के लिए 1971 में अर्जेंटीना सोसायटी द्वारा उन्हें सम्मानित उपाधि दी गई।
26 मार्च 1942 को फिरोज गांधी से विवाह
इंदिरा गांधी ने 26 मार्च 1942 को फ़िरोज़ गाँधी से विवाह किया। उनके दो पुत्र थे। 1955 में श्रीमती इंदिरा गाँधी कांग्रेस कार्य समिति और केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनी। 1958 में उन्हें कांग्रेस के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था। वे एआईसीसी के राष्ट्रीय एकता परिषद की उपाध्यक्ष और 1956 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस और एआईसीसी महिला विभाग की अध्यक्ष बनीं। वे वर्ष 1959 से 1960 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। जनवरी 1978 में उन्होंने फिर से यह पद ग्रहण किया।
19 नवंबर 1917 को जन्म, 31 अक्टूबर 1984 को निधन
इंदिरा गाँधी का जन्म 19 नवम्बर 1917 को हुआ था। उन्होंने इकोले नौवेल्ले, बेक्स स्विट्जरलैंड, इकोले इंटरनेशनेल, जिनेवा, पूना और बंबई में स्थित प्यूपिल्स ओन स्कूल, बैडमिंटन स्कूल ब्रिस्टल, विश्व भारती, शांति निकेतन और समरविले कॉलेज, ऑक्सफोर्ड जैसे प्रमुख संस्थानों से शिक्षा हासिल की की। उन्हें विश्व भर के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया था। प्रभावशाली शैक्षिक पृष्ठभूमि के कारण उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा विशेष योग्यता प्रमाण दिया गया था। श्रीमती इंदिरा गांधी शुरू से ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं। बचपन में उन्होंने बाल चरखा संघ की स्थापना की और असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सहायता के लिए 1930 में बच्चों के सहयोग से वानर सेनाष् का निर्माण किया। सितम्बर 1942 में उन्हें जेल में डाल दिया गया। 1947 में इन्होंने गाँधी जी के मार्गदर्शन में दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य किया।