शिवरेखा में बने ये सात मंदिर विज्ञान को भी करते हैं हैरान

भगवान शिव विश्व में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले भगवान है। भगवान शिव की महिमा का बखान सनातन धर्म से लेकर आजतक सभी जानते है। क्या आप जानते हैं भारत में बने शिव मंदिरों की एक खास बात है और ये खास बात है ये सभी रेखा में बने है। इसे शिवशक्ति या शिव रेखा कहते है। और सभी 79 डिग्री लॉगिट्यूट पर बने हैंय़

आइए आपको बतातें हैं साथ ही ये भी बताते कि किस तरह ये सारे मंदिर एक सीध में एक रेखा में कैसे बनें है। देश मे शिव मंदिरों का सर्किट 2383 किलोमीटर तक लंबा है, और इस रेखा में एक साथ सात प्रमुख शिव मंदिर आते है। इनमें खास बात ये है कि उत्तर के केदारनाथ से लेकर दक्षिण के रामेश्वरम तक दो ज्योर्तिलिंग है बाकी पांच मंदिर पंचमहाभूत मतलब की पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

1 केदारनाथ से लेकर रामेश्वर तक सात शिव मंदिर आते हैं

2 साइंस में इस रेखा को देशांतर रेखा कहा जाता है

3 खासियत ये है कि सभी मंदिर एक सीधी रेखा में होने के साथ साथ 79 डिग्री लॉगिट्यूट  पर बने हैं।

4 इनमें से पांच मंदिर पांच तत्वों वायु, अग्नि, पृथ्वी जल और आकाश  का प्रतिनिधित्व करते हैं।

आइए अब आपको बताते हैं कि- वो सात मंदिर कौन से हैं और कैसे वो अलग अलग तत्वों को प्रतिनिधित्व करते हैं।

शिव रेखा में बने 8 मंदिर

1 केदारनाथ मंदिर

हिमाचल की चोटी पर उत्तराखंड में ये मंदिर स्थ्ति है। उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले के इस मंदिर की स्थापना  पांडवों ने की थी फिर आदिशंकराचार्य ने इसकी जीर्णोधार कराया था।

2 कालेश्वर मुक्तेश्वर स्वामी मंदिर

कालेश्वर मुक्तेशवर स्वामी मंदिर तेलंगाना में स्थित है करीमनगर से 130 किलोमीटर की दूरी पर है।यहां एक ही आधार पर दो शिवलिगं स्थापित हैं। एक शिवलिंग को भगवान शिव के रूप में पूजा होती है तो काले रंग के शिवलिंग को यम मृत्यु के देवता के रूप में पूजा जाता है।

3 कालहस्ती मंदिर -कालहस्तेश्वर मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में है।  तिरूपति के पास है ये मंदिर।  सर्वण मुखी नदी के किनारे है ये शिवलिंग । ये दक्षिण का काशी कहलाता है। यहां सफेद शिवलिंग विराजित है। इस मंदिर को एक पहाड़ी से काटकर बनाया गया है।

श्री का मतलब मकड़ी काल मतलब सांप और हस्ती मतलब हाथी।

इस मंदिर में पुजारी तक शिवलिंग नहीं छूता। मंदिर का शिखर द्रविड़ शैली का है। मंदिर का कुछ हिस्सा पांचवी शताब्दी और कुछ हिस्सा 12 वीं में बना है। ये मंदिर वायु का प्रतिनिधित्व करता है। राहु केतू का मंदिर भी कहा जाता है।

4 एकांबरेश्वर मंदिर

तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है इसका मतलब होता है आम का पेड़। इस मंदिर का शिवलिंग रेतीली मिट्टी का है कार्बन डेटिंग के हिसाब से ये शिवलिंग तीन हजार साल पुराना है। मंदिर के अंदर के हिस्से को पल्लव राजाओं ने सातवीं शताब्दी में बनाया था। बाकी चोल राजाओं ने नौवीं शताब्दी में बनाया है। पंचमहाभूतों में से ये मंदिर पृथ्वी तत्व के लिए माना जाता है। 25 एकड़ में फैले इस मंदिर में 11 मंजिले है और पत्थर का एक हजार नक्काशीदार खंभे हैं।

अरूणाचलेश्वर मंदिर

यह मंदिर तमिलनाडु के तिरूमलाई शहर में अरूणाचल पहाड़ी पर स्थित है। इसे अन्नामलैया मंदिर कहा जाता है। ये मंदिर सातवीं और नौवीं शताब्दी में बना है। यह करीब दस हैक्टेयर में फैला है। यहां अग्नि रूप में महादेव की पूजा होती है। शिवलिंग को अग्निलिंगम कहा जाता है।इस मंदिर में दीपम् उत्सव भी मनाया जाता है।इस उत्सव में बड़ा दीपक मंदिर के ऊपर की पहाड़ी पर भी जलाते है।

जम्बूकेश्वर मंदिर

ये मंदिर भी तमिलनाडु के तिरूचिल्लाप्लमी में है। चौथी शताब्दी में चोल राजा ने इसका निर्माण किया।माना जाता है कि ये मंदिर के निर्माण के समय भगवान शिव खुद पृथ्वी पर आते थे। इस मंदिर के नीचे गर्भग्रह में एक जलधारा बहती है।  इसीलिए ये मंदिर जल का प्रतिनिधित्व करता है।

श्रीथिल्लई नटराज मंदिर

ये मंदिर तमिलनाडु के चिदंबरम में बना है। भरतमुनि के नाट्य शास्त्र के सभी 108 भाव भंगिमाऐं इसमें उकेरी गई हैं। मंदिर का निर्माण पांचवी शताब्दी में हुआ। बाद में चोल वंश ने इसका जीर्णोद्दार किया। ये  एक लाख छह हजार लाख वर्गफीट में बना है। मंदिर में जाने के नौ दरवाजे है। माना जाता है कि शिव ने यहीं नृत्य किया था इसलिए यहां शिव नटराज के रूप में हैं। ये मंदिर आकाश तत्व के लिए जाना जाता है।

रामेश्वरम मंदिर

तामिलनाडु के रामनाथपुरम में बना है रामेश्वर का मंदिर । त्रेता में प्रभु राम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की औऱ व्दापर में फिर पांडवों ने बनाया था। यह 15 एकड़ में फैला है। विश्व का सबसे बड़ा गलियारा इसी मंदिर में है।

 

इस सीधी रेखा को शिवशक्ति रेखा कहा जाता है। अब शिव मंदिरो के इस अदभुद से संयोग को क्या कहें क्या ये भगवान शिव की मर्जी थी जो सालों पहले कोई गणना नहीं थी तब ये मंदिर बिना किसी प्लानिंग के इस सीधी रेखा में बने है या ये सनातन धर्म का ज्ञान है कि सारे मंदिर एक लाइन में और एक ही देशांतर पर एक ही डिग्री में बने हैं।

Exit mobile version