एमपी में नहीं थमी नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें,क्या चुनाव से पहले होगा बदलाव?

leadership change in mp

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के मुहाने पर पहुंच चुका है, लेकिन प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें अब भी थमी नहीं है। भले ही केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भोपाल आकर चले गए हों, और लोगों को लग रहा है कि अब नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा, लेकिन सत्ता और संगठन में बदलाव की अटकलों पर विराम नहीं लगा है।

ये सच्चाई है कि जब तक केन्द्रीय कैबिनेट में विस्तार नहीं हो जाता तब तक ये अटकलें थमने वाली नहीं हैं। फिर चाहे सत्ता में नेतृत्व परिवर्तन हो या संगठन में अभी भी बदलाव हो सकता है, ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं। दरअसल शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में 2018 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद, बीजेपी यह भलीभांति जानती है कि राज्य के मतदाताओं में सत्ता विरोधी भावना बहुत मजबूत है। बीच के 15 महीनों के कांग्रेस शासन को छोड़ दें तो बीजेपी 2003 से मध्यप्रदेश में सत्ता में है।

बीजेपी के सामने है सत्ता विरोधी लहर

मौजूदा शिवराज सरकार के सामने अगले चुनाव को देखते हुए कई चुनौतियां हैं। आदिवासी वर्ग पर अत्याचार, बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ते बिजली के बिल, किसानों की कर्ज माफी, लॉ एंड ऑर्डर सहित तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिनको लेकर विपक्ष सीएम शिवराज को लगातार घेरते नजर आ रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए चुनाव से पहले कोई बड़ा कदम उठा सकती है। बता दें दिसंबर 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके 22 समर्थक विधायकों की बगावत के चलते कमलनाथ सरकार गिर गई थी। कांग्रेस के बागी विधायकों को साथ लेकर बीजेपी ने बहुमत हासिल किया और शिवराज सिंह चौहान रिकॉर्ड चौथी बार सीएम बनाए गए।

ये सबक सिखा कर गए अमित शाह

बीजेपी के चाण्क्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मंगलवार की रात मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर रोड मैप तैयार करके गए हैं। अब विधानसभा चुनाव तब एमपी बीजेपी इसी रोड मैप पर चलते हुए नजर आएगी। दरअसल मंगलवार को भोपाल में बीजेपी के कोर ग्रुप नेताओं के साथ करीब ढाई घंटे तक अमित शाह ने बैठक। जिसमें सीएम शिवराज के साथ एमपी बीजेपी चुनाव प्रभारी भूपेंद्र चौधरी और अश्विनी वैष्णव सहित कोर ग्रुप के 10 से 15 सदस्य मौजूद थे। इस दौरान अमित शाह ने चुनावी जंग फतह करने की रूपरेखा बनाई। शाह ने आदिवासी वोटों पर फोकस करने और प्रदेश का सियासी माहौल अपने पक्ष में मोड़ने के लिए ‘विजय संकल्प अभियान’ शुरू करने का फैसला किया। साथ ही आदिवासी समुदाय को वोटों पर खास तौर पर फोकस करने पर भी जोर दिया। पार्टी सूत्र बताते हैं ​कि अमित शाह ने बैठक के दौरान साथ ही आदिवासी समुदाय के मामले सामने आने पर भी सवाल उठाया। सीएम से भी इस तरह के मामलों को लेकर सवाल किये। दरअसल राज्य में करीब 21 फीसदी आदिवासी समुदाय की आबादी है। जो किसी भी दल का चुनावी खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं।

MP में नहीं थमी नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें,क्या चुनाव से पहले होगा बदलाव?

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