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Home शहर और राज्य दिल्ली

जानें क्या है शिव पूजा में बिल्व पत्र का महत्व…बिल्व पत्र से क्यों प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ…!

DigitalDesk by DigitalDesk
July 31, 2024
in दिल्ली, धर्म, मुख्य समाचार, स्पेशल
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Shiv Puja Sawan Month Bilva Patra Shivling Decoration
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अभी सावन माह चल रहा है। कहते हैं सावन महीने को भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट दूर करते हैं। भगवान शिव की जब भी पूजा की जाती है उसमें बिल्व पत्र का महत्व काफी अधिक होता है। बिल्व पत्तों के बिना शिव पूजा अधूरी ही रहती है। मान्यता है कि बिल्व पत्रों से शिवलिंग का श्रृंगार करने से भोले बाबा जल्द प्रसन्न होते हैं। और भोग लगाते समय भी यदि प्रसाद के साथ बिल्व पत्र रखें जाएं तो यह सोने पर सुहागा जैसा होता है।

  • शिव पूजा में बिल्व पत्र का होता है काफी महत्व
  • बिना बिल्व पत्र अधूरी रहती है भगवान शिव की पूजा
  • ताजे बिल्व पत्र नहीं मिले तो पुराने पत्तों का भी कर सकते हैं उपयोग
  • पुराने बिल्व पत्र को धोकर फिर से शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं
  • बिल्व पत्रों से करना चाहिए शिवलिंग का श्रृंगार
  • भोग लगाते समय भी प्रसाद के साथ रखे जाते हैं बिल्व पत्र

ज्योतिषाचार्यों की माने तो भगवान शिव पूजा में जल के साथ ही बिल्व पत्र अनिवार्य है। शिवलिंग पर चढ़े हुए बिल्व पत्र खाने की परंपरा भी है। बिल्व के सेवन से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है।

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धार्मिक ग्रंथों में मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति जल के साथ सिर्फ बिल्व पत्र ही शिवलिंग पर चढ़ा देता है तो उसे शिव कृपा बहुत जल्दी मिल जाती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक शिकारी शिकार के लिए बिल्व पत्र के पेड़ पर चढ़ गया था। शिकार की राह देखते समय शिकारी ने अनजाने में ही बिल्व पत्र तोड़कर नीचे फेंकना शुरू कर दिए। पेड़ के नीचे शिवलिंग था, उस शिकारी के फेंके हुए बिल्व पत्र शिवलिंग पर गिर रहे थे। इससे शिव जी प्रसन्न हो गए और उस शिकारी को दर्शन दिए थे। इस वजह से शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने की महिमा बताई गई है।

बिल्व पत्र से जुड़ी इन बातें रखें खास ध्यान

भगवान शिव की पुजा में खासा महत्व रखने वाले बिल्व पत्र को तोड़ते समय दिन और तिथि का भी खास ध्यान रखना चाहिए। मान्यता है कि जिस तरह तुलसी के पत्ते रविवार को नहीं तोड़े जाते ठीक उसी तरह बिल्व पत्र भी अष्टमी, चतुदर्शी और अमावस्या ही नहीं रविवार को भी बिल्व पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। इन दिनों में बिल्व पत्र तोड़ना निषेध माना जाता है।

हालांकि बाजार से खरीदकर लाए गए बिल्व पत्र को आप शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं। मान्यता है कि शिवलिंग पर अर्पित किये गए बिल्व पत्र बासी नहीं होते हैं। यदि आप एक ही बिल्व पत्र को बार-बार स्वच्छ जल से धोकर अगले दिन फिर से शिव की पूजा उपयोग करते हैं तो इसमें कोई दोष नहीं माना जाता, ऐसे बिल्व पत्र को चढ़ाया जा सकता है।

इतना ही नहीं ताजे बिल्व पत्र अगर नहीं मिल रहे हैं तो शिवलिंग पर चढ़े हुए बिल्व पत्र को स्वच्छ जल से धोकर फिर से शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है। शिवपुराण में बिल्व वृक्ष को शिव जी का ही दूसरा रूप बताया गया है। कई लोग बिल्व पत्र के वृ़क्ष को श्रीवृक्ष भी कहते हैं। बता दें श्रीदेवी लक्ष्मी का ही एक नाम है। यही वजह है कि बिल्व की पूजा से लक्ष्मी जी की भी कृपा हमेशा बनी रहती है।

दैविय वृक्ष कहते हैं इसे

मान्यता है कि बिल्व पत्र के पेड़ की जड़ों में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षायनी और पत्तियों में माता पार्वती, फूलों में मां गौरी और बिल्व के फल में देवी कात्यायनी का वास रहता है। इसी वजह से बिल्व के वृक्ष को दैवीय वृक्ष भी कहा जाता है। बिल्व पत्र स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है। इसके नियमित सेवन से हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ नियंत्रित रहता है। बिल्व पत्र पाचक भी होते हैं और पेट में गैस भी नहीं बनने देते, उससे खत्म हो सकती।

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Tags: #Bilva patra#Shiv Puja#Shivling #Shivalinga #Bhole BabaSawan month
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