कुर्सी बचाने की कोशिश में शिंदे

कुर्सी बचाने की कोशिश में शिंदे
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के नतीजे के बाद से अब महायुति में सारी खींचतान चल रही है। महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा इसे लेकर मंथन चल रहा है। दरअसल महाराष्ट्र के राजनैतिक हालात कुछ ऐसे हैं कि वहां बीजेपी को बंपर सीटें मिली है। अब हालात 2019 की तरह नहीं है कि सबसे बड़ी सीटें लेकर भी बीजेपी सरकार नहीं बना सके। नतीजों के बाद से मुख्यमंत्री कौन को लेकर मंथन चल रहा है। अंदरखाने की खबरें ये हैं कि एकनाथ शिंदे अपनी कुर्सी बचाने के लिए तरह तरह के फार्मूलों पर बात कर रहे हैं। इन फार्मूलों में एक बिहार का उदाहरण दिया जा रहा है। जहां बीजेपी के पास ज्यादा सीटें होने के बाद भी नीतिश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया था।

क्यों नहीं चल पाएगी शिंदे की
दरअसल बिहार की राजनीति और महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत अंतर है। अगर बिहार में बीजेपी नीतिश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाती तो वो किसी और पार्टी के साथ भी सरकार बना सकते है फिर चाहे वो लालू यादव की पार्टी क्यों न हो क्योंकि वहां नंबर का गणित ही कुछ ऐसा है। वहीं बिहार में बीजेपी के पास नीतिश कुमार जैसी राजनैतिक हैसियत का कोई नेता नहीं है। इसलिए नीतिश कुमार को वापस एन डी ए का चेहरा बनाना बीजेपी के लिए जरूरी भी है और मजबूरी भी।

कुर्सी बचाने की कोशिश में शिंदे क्यों नहीं चल पाएगी शिंदे की!

लेकिन महाराष्ट्र के हालात वैसे नहीं है कि शिंदे बीजेपी को बार्गेन कर सकें या किसी तरह की कोई शर्त रख सकें। शिंदे के किसी भी प्रकार की शर्तों का बीजेपी पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि ऐसे हालात में बीजेपी अजीत पंवार की एन सीपी के साथ सरकार बना लेगी। ऐसी स्थिति में एकनाथ शिंदे की शिवसेना के पास कोई और रास्ता नहीं होगा। महाराष्ट्र में बीजेपी को अकेले 132 सीटें मिली है तो वहीं चार निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिला है। अजीत पंवार गुट के पास 41 सीटें आई है ऐसे में बीजेपी अकेले अजीत पंवार के साथ मिलकर सरकार बना सकती है। इन नंबरों के बीच एकनाथ शिंदे की 57 सीटों के बाद भी वो बीजेपी को बार्गेन करने के हालात में नहीं है।

2019 में मुख्यमंत्री बने थे शिंदे
2019 में बीजेपी ने शिवसेना को तोड़कर सरकार बनाई थी। 2019 में भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी । लेकिन शिवसेना के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान हुई और गठबंधन टूट गया। इसके बाद बीजेपी ने देवेन्द्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन अजीत पंवार विधायकों को नहीं तोड़ सके। फड़णवीस ने दो दिन में इस्तीफा दे दिया। महाविकास अघाड़ी सरकार बने कुछ समय ही हुआ था कि शिवसेना में फूट हो गई। शिवसेना के बागी विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे ने मुबई छोड़ दी। इस पूरे घटनाक्रम में बीजेपी की पूरी मदद एकनाथ शिंदे ने की थी यही कारण रहा कि बीजेपी ने शिंदे को सीएम और देवेन्द्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन अब बीजेपी के पास इतनी सीटें है कि अजीत पंवार के समर्थन से ही सरकार बना लेगी।

प्रकाश कुमार पांडेय

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