शशि थरूर ने कोलंबिया को दी कूटनीतिक सीख…वैश्विक मंच पर भारत के ‘थलाइवा’ बन उभरे
कांग्रेस सांसद शशि थरूर एक बार फिर अपनी बेबाकी, शब्दों की धार और गहन समझ के लिए चर्चा में हैं। विदेश मामलों की सर्वदलीय समिति के सदस्य के रूप में जब वे वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष रख रहे थे, तो उन्होंने पाकिस्तान में मारे गए आतंकियों पर शोक जताने वाले देश कोलंबिया को उसी की ज़मीन पर करारा जवाब दे डाला।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के भीतर आतंकियों के खात्मे पर दुनिया भर में प्रतिक्रियाएं आईं। लेकिन कोलंबिया ने आतंक के शिकार भारत से सहानुभूति जताने के बजाय, पाकिस्तान में हुए “जान-माल के नुकसान” पर संवेदना प्रकट की थी। इस पर शशि थरूर ने जिस अंदाज में प्रतिक्रिया दी उसने सबका ध्यान खींचा।
थरूर ने अपने खास शैली में कहा “हम कोलंबियाई सरकार की प्रतिक्रिया से निराश हैं। जिसने आतंकवाद से त्रस्त पीड़ितों के बजाय उन पर कार्रवाई के बाद संवेदना जताई जो आतंक फैला रहे थे। यह रुख असंतुलित और असंवेदनशील है। उनकी यह टिप्पणी सिर्फ एक जवाब नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक थी—शब्दों की मारक क्षमता से भरी, लेकिन मर्यादित।
थरुर की भाषा में न केवल भारतीय कूटनीति की परिपक्वता झलकी दिखाई दी बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत की दृढ़ता और नैतिक अधिकार भी उजागर हुआ। यही अंदाज उन्हें खास बनाता है—जवाब में न आक्रोश, न घबराहट, बल्कि तथ्य और तार्किक मजबूती। आज भले ही दुनिया रजनीकांत को ‘थलाइवा’ कहती हो—एक नेता, एक नायक। लेकिन विदेश नीति के इस मंच पर थरूर ही भारत के थलाइवा नजर आए हैं। उनकी संवाद शैली, भाषायी पकड़ और तथ्यों की धार ने भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय पटल पर और भी मजबूत किया। इस पूरी घटना ने साबित कर दिया कि जब भारत की बात दमदारी से रखनी हो, तो शशि थरूर जैसा कोई नहीं। वो न सिर्फ शब्दों के महारथी हैं, बल्कि वैश्विक कूटनीति के रण में एक कुशल सेनापति भी।