Sharad Yadav Dead: गैर-कांग्रेसवाद के कट्टर समर्थक और मंडल-मसीहा शरद यादव को कितना जानते हैं आप?

हम बता रहे हैं पांच पॉइट्स में खास बातें

नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और जनता दल यूनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव नहीं रहे। शरद यादव ने दिल्ली के फॉर्टिंस अस्पतलात में अंतिम सांस ली। उऩकी उम्र 75 साल थी। शरद यादव के निधन की जानकारी उनकी बेटी ने ट्वीट कर दी। लिखा- पापा नहीं रहे। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली में उनके निवास में रखा जाएगा। शरद यादव लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

जानिए शरद यादव के बारे में कुछ खास बातें

शरद यादव अकेले ऐसे नेता है जो तीन राज्यों से चुनाव जीतकर लोकसभा गए थे। उनका जन्म मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले मे हुआ था और जबलपुर से इंजीनियरिंग की पढाई करने के बाद उन्होंने छात्र राजनीति से अपने राजनैतिक करियर की शुरूआत की। शरद यादव वायपेजी सरकार में मंत्री रहे। शरद यादव एनडीए के संयोजक भी रहे और जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल बनाया ।

राजनीति में आगमन बेहद नाटकीय रहा था

शरद यादव के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई बड़े नेताओं ने शोक जताया है। उनकी तबीयत कुछ समय से ठीक नहीं चल रही थी। उनका राजनीति में आना भी एक नाटकीय घटना की तरह ही था। 1974 में इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन फैलना शुरू हो गया था और एक तूफान हिंदी भाषी राज्यों में आकार ले रहा था। उसी समय मध्य प्रदेश के जबलपुर से कांग्रेस सांसद की अचानक मृत्यु हो गई और जयप्रकाश नारायण ने उपचुनाव में कांग्रेस के मुकाबले एक युवा छात्र को संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने का फैसला किया।

उस समय शरद यादव केवल 27 साल के थे। कांग्रेसी उम्मीदवार को हराने का मतलब ही था इंदिरा गांधी को नीचा दिखाना। शरद ने इतिहास रचा और फिर इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

मंडल मसीहा थे शरद यादव

अगले पांच दशकों में शरद यादव (Sharad Yadav) पिछड़ी जातियों की राजनीति के चैंपियन के रूप में उभरे। 1 जुलाई, 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई में शरद यादव का जन्म हुआ था। उन्होंने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल लिया था।

समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया से काफी प्रभावित होकर वह जल्द ही युवा राजनीति में सक्रिय हो गए। 1970 के दशक में उन्हें मीसा के तहत गिरफ्तार किया गया था। वह उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लालू को बिहार का सीएम बनवाने वाले थे शरद

तत्कालीन प्रधानमंत्री वी पी सिंह ने रामसुंदर दास को बिहार का सीएम लगभग तय कर दिया था। तभी, शरद ने लंगड़ी लगाई औऱ उप-प्रधानमंत्री देवीलाल को राजी कर लिया कि विधायक दल के नेता चुनाव कर लें। लालू की जीत पक्की करवाने में शरद यादव का मास्टरमाइंड भी था।

 

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