महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से अब तक सरकार का गठन नहीं हो सका है। जिस लेकर शरद पवार ने महायुति और बीजेपी पर जनादेश के अपमान का आरोप लगाया है। सरकार गठन में हो रही देरी पर शरद पवार और संजय राउत ने कहा शिंदे तो जाकर गांव में बैठ गए।
- एनसीपी—एस प्रमुख शरद पवार ने लगाया आरोप
- महाराष्ट्र चुनाव में सत्ता का दुरुपयोग
- पैसे का उपयोग देखने को मिला
- लोगों में अब बेचैनी बढ़ गई है
- जनता को करना होगा एक जनआंदोलन तैयार
- इस तरह तो नष्ट हो जाएगी संसदीय लोकतंत्र प्रणाली
एनसीपी के शरद पवार ने आरोप लगाया और कहा इस बार महाराष्ट्र चुनाव में सत्ता का दुरुपयोग और पैसे का उपयोग देखने को मिला है। इसी के चलते लोगों में अब बेचैनी बढ़ गई है। पवार ने कहा इस मुद्दे पर पूरी जनता को इसके लिए एक जनआंदोलन तैयार करना होगा। शरद पावर ने कहा ऐसा लगता है कि देश में संसदीय लोकतंत्र प्रणाली पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी।
महाराष्ट्र में सरकार के गठन में देरी पर शरद पवार ने कहा कि महायुति जनादेश का अपमान करने पर तुल गई है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आए 8 दिन बीत चुके हैं। लेकिन अब तक मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर महायुति अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। ऐसे अनिर्णय की स्थिति ने महा विकास अघाड़ी के नेताओं को बहुमत हासिल करने वाले महायुति गठबंधन पर निशाना साधने का मौका दे दिया है। एनसीपी के शरद पवार ने सियासी टिप्पणी करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में जनादेश का सम्मान नहीं किया जा रहा है, यह अच्छी बात नहीं है।
एनसीपी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा दिलचस्प बात यह है कि इतना स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद भी अब तक महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन पाई है। इससे मतलब साफ है कि जनता की ओर से दिया गया बहुमत महायुति लिए कोई मायने ही नहीं रखता। जो कुछ भी चल रहा है, वह महाराष्ट्र के लिए अच्छा नहीं है। पवार ने कहा देश में ऐसा पहली बार हुआ है जो चुनाव हुए हैं, उससे अब भी लोगों में काफी बेचैनी है। लोग निराशा हैं।
शरद पवार ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा इस बार महाराष्ट्र चुनाव में सत्ता का दुरुपयोग किया गया पैसे का इस्तेमाल भी देखने को मिला। इसके चलते अब लोग बेचैन हैं। इस मुद्दे पर राज्य की जनता को एक जनआंदोलन तैयार करना होगा। उन्हें ऐसा लगता है कि देश में इस तरह संसदीय लोकतंत्र प्रणाली नष्ट हो जाएगी। पवार ने कहा जब विपक्ष के नेता संसद में इस मुद्दे को लेकर सवाल उठाते हैं तो उन्हें बोलने नहीं दिया जाता।
(प्रकाश कुमार पांडेय)